राजपथ पर देश की विराट सैन्य शक्ति, ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहर की दिखाई दी भव्य झलक

राजपथ पर देश की विराट सैन्य शक्ति, ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहर की दिखाई दी भव्य झलक

नई दिल्ली। देश की विराट सैन्य शक्ति, ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहर और अनेकता में एकता की गौरवशाली परंपरा की आज (शनिवार) राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड (Republic Day 2019 Parade) में भव्य झलक दिखाई दी जिसमें पहली बार आजाद हिन्द फौज (आईएनए) के भूतपूर्व सैनिकों ने भी हिस्सा लिया। 70वें गणतंत्र दिवस का मुख्य समारोह राजधानी के राजपथ पर हुआ। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सीरिल रामाफोसा समारोह के मुख्य अतिथि थे और प्रवासी भारतीय दिवस में हिस्सा लेने आये भारतवंशी नेताओं को भी इसके लिए विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। समूची राजधानी में सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किये गये थे और परेड स्थल, आस-पास की इमारतों की छतों पर शार्प शूटर तथा उनसे लगते क्षेत्रों में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात किये गये थे।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद प्रधानमंत्री ने सलामी मंच के निकट राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और समारोह के मुख्य अतिथि रामाफोसा की अगवानी की। राष्ट्रपति ने सलामी मंच पर राष्ट्रीय ध्वाजारोहण किया जिसके बाद उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गयी और सेना के एम आई-17 हेलिकॉप्टरों ने राजपथ पर पुष्प वर्षा की जिससे दर्शकों के हर्ष का ठिकाना नहीं रहा।

राष्ट्रपति ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए सेना के लांस नायक नजीर अहमद वानी की पत्नी श्रीमती महजबीं को शांतिकाल का सवोर्च्च सम्मान अशोक चक्र प्रदान किया। इस दौरान राजपथ पर माहौल भावुक हो गया। सेना के दिल्ली मुख्यालय क्षेत्र के जनरल आफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल तथा परेड कमांडर असित मिस्त्री और उनके बाद दिल्ली मुख्यालय क्षेत्र के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल तथा परेड के सेकेंड इन कमान राजपाल पूनिया ने राष्ट्रपति को सलामी दी। इसके बाद सेना के तीन परमवीर चक्र विजेता और पांच अशोक चक्र विजेता भी जीप में सवार होकर सलामी मंच के सामने से गुजरे। आजादी के बाद पहली बार आजाद हिन्द फौज के चार भूतपूर्व सैनिक भी परेड की शान बढाते नजर आये। इन पूर्व सैनिकों के नाम चंडीगढ के लालतीराम (98), गुरूग्राम के परमानंद (99), हीरा सिंह (97) और भागमल (95) हैं।

समारोह में नारी शक्ति के नेतृत्व में सशस्त्र सेनाओं के मार्चिंग दस्तों, बैंडों, स्कूली बच्चों के लोक नृत्य और अन्य कार्यक्रमों ने राजपथ पर माहौल को देश के सतरंगी रंगों से सरोबार कर दिया। इस बार नारी शक्ति की मौजूदगी पिछले सालों की तुलना में कहीं अधिक दिखाई दी। तीनों सेनाओं के मार्चिंग दस्ते की कमान महिला अधिकारियों के हाथ में थी और असम रायफल्स की ओर से तो पूरे दस्ते में महिला सैनिक ही कदमताल कर रही थीं। इसके अलावा सेना की एक महिला अधिकारी ने मोटरसाइकिल पर करतबबाजी कर रहे दस्ते का नेतृत्व किया। उनके करतबों ने दर्शकों को दांतों तले उंगली दबाने के लिए मजबूर कर दिया।

परेड के अन्य आकर्षणों में सेना के लिए अमेरिका से खरीदी गयी एम-777 अल्ट्रा लाइट हावित्जर तोप और मेक इन इंडिया के तहत देश में ही बनायी गयी के-9 वज्र तोप पहली बार राजपथ पर दिखायी दी। के-9 वज्र तोप को लार्सन और टूब्रो ने बनाया है। डीआरडीओ द्वारा बनायी जाने वाली मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल तथा अजुर्न बख्तरबंद रिकवरी वाहन ने भी पहली बार परेड की शान बढ़ायी। एक अन्य आकर्षण वायु सेना का मालवाहक विमान ए एन-32 रहा जिसने पहली बार जैव ईंधन से उड़ान भरी। परेड में पहली बार सशस्त्र सेनाओं की मार्शल धुन के शंखनाद की गूंज भी सुनाई दी।

परेड में सशस्त्र सेनाओं, अर्द्ध सैनिक बलों, दिल्ली पुलिस, एनसीसी और एनएसस के 16 मार्चिंग दस्तों के साथ 16 बैंडों ने हिस्सा लिया। साथ ही राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों और मंत्रालयों की 22 झांकियों ने भी देश की विविधता में एकता के रंगों को राजपथ पर बिखेरा। इन झांकियों का थीम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन और कार्यों पर आधारित था। स्कूली बच्चों ने भी राजपथ पर अपने-अपने राज्यों के लोकसंगीत और लोक नृत्य पेश किए।

संबंधित समाचार

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.