कानपुर में झमाझम बारिश ने तोड़ा 48 साल का रिकॉर्ड, लोगों के खिले चेहरे

कानपुर में झमाझम बारिश ने तोड़ा 48 साल का रिकॉर्ड, लोगों के खिले चेहरे

कानपुर। शुक्रवार को सीजन की पहली झमाझम बारिश ने शहर में ठिठुरन बढ़ा दी। 25 जनवरी को हुई बारिश अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इससे पहले 1971 में इस दिन बारिश हुई थी। सीजन भर घना कोहरा देखने को तरसे शहरवासियों के लिए यह क्षण सुखद अनुभूति वाले रहे। दिन में ही घने बादलों ने रात कर दी। स्ट्रीट लाइट से लेकर वाहनों की हेडलाइट तक जल उठीं। सीजन में नवंबर से अब तक इस सीजन में दिन का सबसे कम तापमान 15.8 डिग्री रिकार्ड किया गया।

यह पहला पश्चिमी विक्षोभ था जिसका असर शहर तक आया। आमतौर पर शीत ऋतु के दौरान जो पश्चिमी विक्षोभ आते हैं उसका असर उत्तर भारत में व्यापक रूप से पड़ता रहा है। ऐसे में शहर में कड़ाके की सर्दी पड़ती रही है और घना कोहरा होता रहा है। बीच-बीच बारिश भी दस्तक दे देती थी। पर सात दशक बाद एक भी दिन घना कोहरा शहर के बीच नहीं पड़ा। 23 जनवरी को बूंदाबांदी हुई लेकिन इससे पहले बदली तक नहीं हुई।

शुक्रवार को बारिश के लिए मौसम विभाग का पूर्वानुमान सटीक निकला। गुरुवार रात से ही घने बादल छाने लगे। सुबह सूरज भी बदली की ओट में रहा। अंधेरा सुबह से ही था लेकिन जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, अंधेरा और गहरा गया। शहर के कुछ इलाकों में सुबह आठ बजे तो कहीं 10 बजे बारिश शुरू हो गई। शहर के ज्यादातर क्षेत्रों में 11 बजे के आसपास पानी बरसना शुरू हुआ। यह सिलसिला दो बजे के आसपास तक चलता रहा। तब तक 12.4 मिमी बारिश रिकार्ड की जा चुकी थी। इसके बाद धूप खिली। पर कुछ ही देर बाद फिर अंधेरा छाया और गरज चमक के साथ बारिश तेज हो गई। कुल करीब 15 मिमी रिकार्ड की गई।

बारिश होते ही मौसम में भी बदलाव शुरू हो गया। साथ-साथ चलीं सर्द हवाओं ने ठंडी वापस ला दी। लोगों को दिन में ही स्वेटर, कोट, जैकेट आदि पहनना पड़ गया। जो बारिश में भीगे उनके दांत भी किटकिटाए। सीजन की पहली ऐसी बारिश थी जिसका शहरवासियों पर सीधा असर दिखा। इससे पूर्व 48 घंटे पहले रात में हुई बारिश हल्की थी जिसका सुबह होते ही असर कम हो गया था।

वर्षा के चलते शुक्रवार को दिन के पारे ने 6.6 डिग्री सेल्सियस की डुबकी लगाई। गुरुवार को पारा 22.4 डिग्री था लेकिन शुक्रवार को यह गिरकर 15.8 डिग्री सेल्सियस हो गया। नवंबर, दिसबंर और जनवरी माह में अधिकतम तापमान इस पूरे सीजन में सबसे कम रहा। 15 जनवरी को अधिकतम पारा 20.0 डिग्री सेल्सियस रहा था। इससे पहले 29 दिसंबर को अधिकतम पारा 19.6 डिग्री तक पहुंचा था। रात में बादलों के कारण पारा चढ़ा लेकिन गुरुवार के मुकाबले 1.2 डिग्री सेल्सियस कम हो गया। शुक्रवार को न्यूनतम पारा 9.6 डिग्री सेल्सियस रहा। गुरुवार को न्यूनतम पारा 10.8 डिग्री सेल्सियस था।

भले ही कुछ लोग मौसम के बदले मिजाज को देखते हुए घरों में कैद हो गए हों लेकिन युवा इसे एन्ज्वॉय करने टोलियों में निकल पड़े। चौराहों पर मौज मस्ती और पकौड़ी, समोसे आदि का आनन्द उठाया। इन टोलियों में ऐसे भी थे जिन्होंने ऐसे मौसम में आइसक्रीम का मजा लूटा।

पश्चिमी विक्षोभ से हुई बारिश के कारण शहर का प्रदूषण भी धुल गया। शहर रेड से यलो (पीला) जोन में चला गया। एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 272 रहा। खतरनाक गैसों का स्तर भी अपेक्षाकृत कम हुआ। सबसे ज्यादा असर धूल-धुएं के कणों पर पड़ा।

पश्चिमी विक्षोभ से आया बादलों का रेला अभी आसमान से दूर नहीं हुआ है। घने बादल छाए हैं जो हवा की दिशा पर निर्भर हैं। फिलहाल हल्के से मध्यम बादल होने से शनिवार को सुबह हल्की बारिश हो सकती है। अगर हवा की दिशा पूर्वी रही तो शनिवार को भी तेज बारिश संभव है। इसके बाद शीत लहरी संभावना बनी हुई है। मौसम विज्ञानी डॉ. नौशाद खान ने बताया कि शनिवार के बाद आसमान साफ हो सकता है। इसके 72 घंटे बाद हल्की बदली संभव है।

झमाझम बारिश से किसानों के चेहरे खिल उठे। रबी की फसल पर शुक्रवार को अमृत गिरा। पानी गिरते ही किसानों के चेहरों पर रौनक आ गई। सीजन भर अच्छी नमी और बारिश न होने से दलहनी और गेहूं की फसल खराब हो रही थी। किसानों को फसल बर्बाद होने का भय सता रहा था। खेत में नमी बरकरार रखने के लिए किसान लगातार पानी लगा रहे थे। जो काफी महंगा पड़ रहा था। पानी गिरते ही किसानों के चेहरे खिल गये। किसानों ने खुशी मनाते हुए कहा कि गेहूं की फसल के लिए अमृत गिरा है। वैसे, बारिश लाही चना को नुकसान पहुंचा सकती है। अब पानी और गिरता है तो आलू की फसल को नुकसान पहुंचेगा।

संबंधित समाचार

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.