न्यूज़ डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की सरकार देश की सुरक्षा को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति पर बखूबी अमल कर रही है। हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी कहा था कि नया भारत नए तरीके से सोचता है और हम भारत में ही नहीं बल्कि विदेशी धरती पर भी लड़ेंगे। हमें जहां भी खतरा दिखेगा, हम वहां प्रहार करेंगे। आज इसका फिर प्रमाण मिला, जब मोदी सरकार ने खालिस्तान समर्थक 12 वेबसाइटों को प्रतिबंधित करने की घोषणा की।
प्रतिबंधित वेबसाइटों में ‘एसएफजेएए4फार्मर्स’, ‘पीबीटीम’, ‘सेवा413’, ‘पीबी4यू’, ‘साडापिंड’ शामिल हैं। इनमें से कुछ प्रतिबंधित वेबसाइटों को खोजने पर अब यह संदेश आ रहा है, ‘आपके द्वारा जिस यूआरएल का अनुरोध किया गया है, उसे भारत सरकार के दूरसंचार विभाग से प्राप्त निर्देशों के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया है। अधिक जानकारी के लिए प्रशासक से सम्पर्क करें।’
मामले से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि प्रतिबंधित वेबसाइटों में से कुछ को सीधे तौर पर गैरकानूनी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ द्वारा संचालित किया जा रहा था। वेबसाइटों पर खालिस्तान समर्थक सामग्री थी। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय ने आईटी अधिनियम की धारा 69ए के तहत 12 वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को भारत में साइबरस्पेस की निगरानी का अधिकार प्राप्त है।
गृह मंत्रालय ने पिछले साल राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए ‘एसएफजे’ पर प्रतिबंध लगा दिया था। एसएफजे अपने अलगाववादी एजेंडे के तहत सिख रेफरेंडम 2020 का प्रचार कर रहा था। सरकार ने अलगाववादी गतिविधियों का समर्थन करने के लिए ‘एसएफजे’ से संबद्ध 40 वेबसाइटों पर जुलाई में प्रतिबंध लगा दिया था।
वहीं खालिस्तानी आतंकी संगठन ‘जस्टिस फॉर सिख’ ने विवादास्पद पोस्टर जारी किया है। जिसमें पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सहित पूर्व उप प्रधानमंत्री व बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ मौत का फतवा जारी किया गया है।