स्‍मृति ईरानी के खि‍लाफ FB पर आपत्तिजनक पोस्‍ट करने वाले टीचर को कोर्ट से झटका, अग्रिम जमानत अर्जी खारिज

प्रयागराज। केंद्रीय मंत्री स्‍मृति ईरानी के खि‍लाफ फेसबुक पर आपत्‍तिजनक पोस्‍ट मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी टीचर की अग्रिम जमानत अर्जी को खार‍िज कर द‍िया है। कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. शहरयार अली ने कथि‍त रूप से केंद्रीय मंत्री स्‍मृति ईरानी के खि‍लाफ फेसबुक पर अश्‍लील पोस्‍ट शेयर की थी। इस मामले में अली को प‍िछले महीने कॉलेज से सस्‍पेंड कर दिया गया था। बता दें, इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के जिला मंत्री ने प्रोफेसर अली के खिलाफ अश्लील पोस्ट डालने की शिकायत दर्ज कराई थी।

जस्‍टि‍स जेजे मुनीर ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि पोस्ट की सामग्री विभिन्न समुदायों के बीच घृणा को बढ़ावा दे सकती है। कोर्ट ने कहा, ”याच‍िकाकर्ता एक कॉलेज में वरिष्ठ शिक्षक और विभागाध्यक्ष है, इस तरह का आचरण प्रथम दृष्टया उसे अग्रिम जमानत के लिए पात्र नहीं बनाता है। अग्रिम जमानत के लिए आवेदन को खारिज कर दिया जाता है।” कोर्ट ने कहा कि फेसबुक पोस्ट को सह-आरोपी हुमा नकवी ने भी शेयर किया था। पोस्ट की सामग्री वास्तव में ऐसी है जो विभिन्न समुदायों के बीच घृणा को बढ़ावा दे सकती है।

भारतीय जनता पार्टी के जिला मंत्री ने प्रोफेसर अली के खिलाफ अश्लील पोस्ट डालने की शिकायत दर्ज कराई थी। अली के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 505 (2) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 200 की धारा 67 ए के तहत अपराधों के लिए एफआईआर दर्ज की गई थी। आरोप डॉ. अली के वकील ने कोर्ट में कहा कि पोस्ट किसी और ने उनके फेसबुक अकाउंट को हैक करके डाला था। यह भी बताया गया कि अली ने बाद में खेद व्यक्त किया था। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि दुश्‍मनी की वजह से भारतीय जनता पार्टी के जिला मंत्री के कहने पर उन्हें अपराध में झूठा फंसाया गया था। अतिरिक्त महाधिवक्ता शशि शेखर तिवारी ने अग्र‍िम जमानत अर्जी का विरोध किया और कहा कि फेसबुक पोस्ट में “केंद्र सरकार में एक माननीय मंत्री और एक राजनीतिक दल के एक वरिष्ठ नेता के बारे में एक अश्लील टिप्पणी है।” उन्‍होंने कोर्ट में कहा कि उक्त पोस्ट को सोशल मीडिया पर प्रसारित किया गया था और इसमें एक अफवाह थी जिससे विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच घृणा को बढ़ावा द‍िया जा रहा था। यह आईपीसी की धारा 505 (2) के तहत दंडनीय अपराध है।

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