अयोध्या राम मंदिर मामले में, इस बार माफी पर नहीं, मानहानि केस दायर करने की तैयारी, देखिए कब-कब आप नेताओं ने माफी मांग बचाई जान

न्यूज़ डेस्क। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में बाधा डालने की कोशिश का पर्दाफाश होने के बाद अब मानहानि केस दायर करने की तैयारी हो रही है। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने राम मंदिर के लिए जमीन की खरीद में घोटाले का आरोप लगाया, लेकिन जल्द ही यह साफ हो गया कि उन्होंने मामले में लोगों को गुमराह करने की कोशिश की है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले ऐसा जान-बूझकर किया गया। इसको लेकर विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने कड़ा रुख अपनाया है। वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा है कि हम इस पर विचार कर रहे हैं कि हम मानहानि का दावा करें। इस बार उन्हें माफी मांगने पर न छोड़े और इसे इसकी परिणति तक ले कर जाएं। क्योंकि आप नेताओं का इतिहास पहले हल्ला करके बाद में माफी मांग कर जान बचा लेने की रही है।

इसके पहले सबूतों का पिटारा रखने का दावा करने वाले सीएम केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेताओं ने अपने विरोधी नेताओं पर तरह-तरह के आरोप लगाए और जब एक के बाद एक मानहानि का केस कोर्ट में पहुंचने लगा तो माफीनामा लिखने लगे।

अरुण जेटली से कोर्ट में माफीनामा
आप संयोजक अरविंद केजरीवाल अप्रैल, 2018 में भाजना नेता अरुण जेटली से माफी मांगी। सीएम केजरीवाल के साथ आशुतोष, संजय सिंह और राघव ने एक संयुक्त माफीनामा पटियाला हाउस कोर्ट में सौंपा। केजरीवाल ने पहले भी अरुण जेटली से माफी मांगी थी, लेकिन तब उन्होंने कहा था कि जबतक आप के सभी नेता माफी नहीं मांगते, केस वापस नहीं होगा। केजरीवाल ने अरुण जेटली पर डीडीसीए की अध्यक्षता के दौरान भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। केजरीवाल के आरोप लगाने के बाद जेटली ने उनपर और उनके सहयोगी नेताओं पर 10 करोड़ रुपये मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया था।

नितिन गडकरी से लिखित में मांगी माफी
इसके पहले केजरीवाल ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से माफी मांगते हुए कोर्ट केस खत्म करने की गुजारिश की। केजरीवाल ने नितिन गडकरी को एक पत्र लिखकर उनके खिलाफ लगाए गए असत्यापित आरोपों के लिए खेद व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, ‘मेरी आपसे कोई व्यक्तिगत रंजिश नहीं है। मैं इसके लिए खेद जताता हूं। इस मामले को पीछे छोड़ते हुए कोर्ट केस को खत्म करें।’ केजरीवाल के माफीनामे के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मानहानि केस वापस ले लिया।

कपिल सिब्बल से भी मांगी माफी
आम आदमी पार्टी नेता अरविन्द केजरीवाल ने वर्ष 2013 में प्रेस कांफ्रेंस करके अमित सिब्बल (कपिल सिब्बल का बेटा) पर ‘निजी लाभ के लिए शक्तियों के दुरुपयोग’ का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि वह ऐसे समय में एक दूरसंचार कंपनी की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में पेश हुए, जब उनके पिता कपिल सिब्बल केंद्रीय संचार मंत्री थे। केजरीवाल ने भाजपा नेता नितिन गडकरी के बाद कपिल सिब्बल और उनके बेटे अमित सिब्बल से भी अपने बयान के लिए खेद प्रकट किया।

अकाली नेता बिक्रम मजीठिया से मांगी माफी
पंजाब चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने चुनावी रैलियों में अकाली दल के महासचिव और प्रदेश के तत्कालीन मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया पर ड्रग्स माफिया होने का आरोप लगाए। यह आरोप अलग-अलग जगहों पर विवादित मुख्यमंत्री केजरीवाल बार-बार दोहराते रहे। इन आरोपों से दुखी होकर बिक्रम मजीठिया ने मानहानि का केस अमृतसर कोर्ट में किया। अब जब अरविन्द केजरीवाल को लगने लगा कि उनके आरोपों में कोई दम नहीं है, झूठे आरोप लगाने के मामले में जेल हो जाएगी तो आदतन अरविन्द केजरीवाल ने यू-टर्न मारा और लिखित में माफी मांगकर मुकदमा वापस लेने का अनुरोध किया है।

‘ठुल्ला’ पर मांगी माफी
मुख्यमंत्री रहते अरविन्द केजरीवाल ने एक टीवी इंटरव्यू में पुलिस के जवानों को ठुल्ला कहा था, बवाल होने पर यू-टर्न लेते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के लिए उन्होंने इस शब्द का प्रयोग किया था। अपने कहे पर उन्होंने माफी भी मांगी।

ईवीएम पर केजरीवाल के झूठ का पर्दाफाश
मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) चुनाव में प्रत्याशी रहे श्रीकांत सिरसाट का दावा था कि उसे खुद का भी वोट नहीं मिला था। इस दावे के साथ उसने ईवीएम पर संदेह जताया था। श्रीकांत के दावे को आम आदमी पार्टी ने खूब उछाला। आप नेता इसे एक सुनहरा मौका समझ भुनाने में लगे थे लेकिन चुनाव आयोग ने जब पड़ताल की तो पता चला कि उसे जीरो नहीं 44 वोट मिले थे। इसके बाद श्रीकांत ने चुनाव आयोग से माफी मांग ली लेकिन आम आदमी पार्टी अब तक इस मुद्दे पर चुप है।

एलजी पर झूठा आरोप
अपनी गलती छिपाने के झूठ का सहारा लेने वाले केजरीवाल का एक और झूठ उस समय पकड़ा गया, जब केजरीवाल सरकार ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के फाइलों को मंजूरी नहीं देते हैं जिससे दिल्ली सरकार का काम बाधित होता है। इस पर पलटवार उपराज्यपाल ने एक डाटा जारी करते हुए किया। उपराज्यपाल के डाटा से केजरीवाल सरकार के झूठ का पर्दाफाश हुआ।

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