बंद फैक्ट्री में उत्पादन दिखाकर 8 करोड़ का घोटाला
रायपुर। फर्जी इनवाइस के जरिए पौने आठ करोड़ रूपए का घोटाला करने वाले 6 आरोपियों को 3-3 वर्ष की सजा और 6 लाख 25 हजार रुपए जुर्माना से दंडित किया गया है। सजा पाने वालों में सेंट्रल एक्साइज एंड कस्टम विभाग का एक अधिकारी भी शामिल है। सीबीआई के स्पेशल जज सुनील कुमार नंदे ने गुरुवार को इसका फैसला सुनाया। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 65 गवाह पेश किए गए थे।
आरोपियों ने भाटापारा कि बंद पड़ी फैक्ट्री में पॉलिएस्टर यार्न उत्पादन करने का झांसा देकर लाइसेंस बनवाया। बिना किसी क्रय विक्रय किए 7 करोड़ 70 लाख 53,477 रुपये की चोरी कर रहे थे। इसकी शिकायत मिलने के बाद सीबीआई दिल्ली की टीम ने भाटापारा स्थित फर्म में छापा मारा। जांच के दौरान गड़बडी़ पकड़े जाने के बाद आरोपियों के खिलाफ स्पेशल कोर्ट में चालान पेश किया गया था।
सीबीआई के लोक अभियोजक रजत कुमार श्रीवास्तव ने बताया की भाटापारा की मैसर्स पॉलिटेक्स प्राइवेट लिमिटेड को आरोपी प्राणतोष शर्मा पिता सीताराम शर्मा 40 वर्ष, ब्राह्मण पारा कंकाली मठ रायपुर, राजीव जैन पिता ज्ञानचंद 53 वर्ष बरुआ सागर गायत्री मंदिर दुर्ग, दिनेश ममरवाला उर्फ दिनेश मोदी 58 वर्ष गकवार्ड हाइट्स पुणे महाराष्ट्र, रमेश मोहन पशुवाला पिता स्वर्गीय मोहनलाल 63 वर्ष रिवेरा कोऑपरेटिव सोसायटी कोरेगांव महाराष्ट्र, प्रवीण अग्रवाल पिता ताराचंद 57 वर्ष खेमका भवन मुंबई निवासी ने भाटापारा कि बंद पड़ी फैक्ट्री को किराए पर लिया था।
शर्तों के अनुसार आरोपियों को पॉलिएस्टर फैब्रिक उत्पादन करना था। लेकिन, वह बिना उत्पादन किए ही कागजो में सामानों की आपूर्ति कर रहे थे। साथ ही ट्रकों के जरिए कच्चा माल भी कोलकाता के हावड़ा स्थित मैसर्स वृंदा टैक्स कंपनी को आपूर्ति करना बताया जा रहा था। यह खेल जून 2003 से अगस्त 2003 के बीच चलता रहा। ऑटो और स्कूटर को बताया मालवाहक। ऑटो और स्कूटर के जरिए हजारों टन मॉल कोलकाता भेजते थे। रजिस्टर में 57 वाहन के जरिए इसका परिवहन करना बताया गया था। इसमें से इसका नंबर भी बकायदा 96 इनवाईस में किया गया था। इसके नंबरों की जांच करने पर सीबीआई को इसकी जानकारी मिली। फर्जीवाड़े की पुष्टि के बाद सीबीआई ने 1 मई 2008 को चालान पेश किया इस मामले में 5 आरोपियों को धारा 420 120 बी 471 468 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं में सजा सुनाई गई है।
