रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना के तहत गांवों में स्थापित गौठान और गोधन न्याय योजना ने गांवों में स्वावलंबन और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला है। गौठान और गोधन की सफलता ने देश के सभी राज्यों का ध्यान छत्तीसगढ़ की ओर खींचा है। छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना के तहत गांवों में स्थापित गौठान तथा गोधन न्याय योजना के समन्वय से गौठानों में संचालित आयमूलक गतिविधियों को देखने के लिए आज महाराष्ट्र राज्य के वर्धा जिले से कृषि वैज्ञानिकों, ग्रामीण विकास के अधिकारियों सहित अधिवक्ता, शिक्षक एवं मीडिया प्रतिनिधि के संयुक्त दल ने रायपुर जिले के अभनपुर विकासखण्ड अंतर्गत नवागांव (ल) गौठान, महासमुंद एवं गरियाबंद जिले में गौठान व नरवा विकास के कार्य का अवलोकन किया और महिला समूह द्वारा संचालित आयमूलक गतिविधियों के बारे में जानकारी ली। इस अवसर पर संबंधित जिलों के विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
महाराष्ट्र वर्धा से आए संयुक्त प्रतिनिधि दल ने नवागांव (ल) गौठान में नवनिर्मित आसवन ईकाई, वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन ईकाई, मशरूम उत्पादन ईकाई, गोबर से गमला एवं दीया निर्माण, कृषि विभाग द्वारा प्रदत्त मक्का फसल प्रदर्शन बाड़ी, मछली पालन, बाड़ी आदि का अवलोकन किया। संयुक्त प्रतिनिधि दल ने महासमुंद जिले में निर्मित गौठान और वहां महिला स्व-सहायता समूह द्वारा संचालित आयमूलक गतिविधियों का अवलोकन किया। वर्धा के किसानों ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा स्थानीय संसाधनों के संरक्षण, संवर्धन एवं बेहतर उपयोग के लिए संचालित सुराजी गांव योजना नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी की सराहना की। दल के किसानों ने कहा कि गौठान और गोधन न्याय योजना ग्रामीण जनजीवन में बदलाव और खुशहाली लाने वाली योजना है। संयुक्त प्रतिनिधि दल के डॉ. उल्हास जाजू ने वर्धा सेवाग्राम में स्व-सहायता समूहों द्वारा संचालित विभिन्न गतिविधियों के बारे में गौठान की महिला समूहों से विस्तार से चर्चा की। दल के सभी कृषकों ने अपने अनुभव साझा किये गये। वर्धा के कृषकों ने गरियाबंद जिले में नरवा विकास कार्य का भी अवलोकन किया और इसकी सराहना की।
मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा ने राज्य योजना आयोग भवन में वर्धा से आए संयुक्त प्रतिनिधि दल के सदस्यों से नरवा,गरवा, घुरवा और बाड़ी योजना के उद्देश्य और इससे ग्रामीण जनजीवन में बीते तीन सालों में आए बदलाव को लेकर विस्तार से चर्चा की। श्री शर्मा ने कहा कि छुट्टा पशु खेती के लिए बड़ी समस्या है। छत्तीसगढ़ के गांवों में गौठान बन जाने से खुले में चराई प्रथा रोक लगी है। गोधन न्याय योजना से पशुपालकों को गोबर बेचने से अतिरिक्त आमदनी होने लगी है। गोबर से वर्मी खाद बन रही है, जिससे महिला स्व-सहायता समूहों को रोजगार और लाभ मिलने लगा है। राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिला है। नरवा विकास से भू-जल संरक्षण एवं संवर्धन के साथ-साथ जैवविविधता को बढ़ावा मिला है। राज्य में स्वास्य पोषण और रोजगार को भी इससे बढ़ावा मिला है।
वर्धा के संयुक्त प्रतिनिधि दल ने कल्पतरु मल्टीयूटीलिटी सेन्टर, सेरीखेडी का अवलोकन किया गया। कल्पतरु मल्टीयूटीलिटी सेन्टर का संचालन उजाला ग्राम संगठन सेरीखेड़ी के द्वारा किया जा रहा है। मल्टीयूटीलिटी सेन्टर में ग्रामीण महिलाओं द्वारा 28 प्रकार के गुणवत्तायुक्त पर्यावरणीय मैत्री वाले हर्बल उत्पादों का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने यहां दाल पेकिंग ईकाई, मास्क एवं केरीबेग निर्माण ईकाई, कपडा बुनाई, मधुबन एवं बस्तर कला चित्रकारी ट्री-गार्ड निर्माण, विभिन्न प्रकार के आचार निर्माण, मशरूम उत्पादन, साबुन एवं मोमबती उत्पादन, हर्बल गुलाल उत्पादन, सोलर ड्रायर, बेकरी आयटम्स, आरओ वाटर बॉटलिंग ईकाई आदि का अवलोकन किया। सेन्टर में कार्यरत महिला समूह के बच्चों के देख-रेख एवं सुपोषण हेतु गौठान में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्र का भी किसान दल ने अवलोकन किया। सेन्टर का भ्रमण मोहिनी डहरिया अध्यक्ष, उजाला ग्राम संगठन के द्वारा कराया गया।