गुवाहाटी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गरीबी कम करने के लिए अल्पसंख्यक समुदाय से आबादी कंट्रोल करने को कहा है। साथ ही स्पष्ट किया है कि उनकी सरकार मंदिर, सतरा और वन भूमि पर अतिक्रमण नहीं होने देगी। बतौर मुख्यमंत्री 30 दिन पूरे होने पर गुरुवार (10 जून 2021) को उन्होंने यह बात कही।
सरमा ने अल्पसंख्यक समुदाय से अपील करते हुए कहा कि वे जनसंख्या नियंत्रण के लिए परिवार नियोजन की नीति अपनाएँ। उन्होंने कहा कि गरीबी का मुख्य कारण लगातार आबादी बढ़ना है। लिहाजा समुदाय के सभी प्रतिनिधियों को आगे आकर इस दिशा में सरकार का समर्थन करना चाहिए।
उन्होंने कहा, “सरकार गरीबों की सुरक्षा और उनके लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन सरकार को भी जनसंख्या वृद्धि से निपटने के लिए अल्पसंख्यकों का पूरा सहयोग चाहिए क्योंकि इसी के कारण गरीबी और अशिक्षा की समस्याउत्पन्न हुई है। इसके पीछे एक ही कारण है, फैमिली प्लानिंग की कमी।”
सरमा ने यह भी कहा कि उनकी सरकार अल्पसंख्यकों महिलाओं को शिक्षित करने का भी काम करेगी जिससे समस्याओं का हल प्रभावी तरीके से निकाला जा सके। अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिनिधियों से कहा है कि वे जनसंख्या नियंत्रण के मामले में अपने लोगों को जागरूक करने का कार्य करें।
Press Meet from Administrative Staff College. https://t.co/d0WozgRJdG
— Himanta Biswa Sarma (Modi Ka Parivar) (@himantabiswa) June 10, 2021
साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार किसी भी हालत में मंदिरों, सतरा और जंगल की जमीन पर कोई अतिक्रमण स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिनिधियों ने भूमि अतिक्रमण नहीं किए जाने का भरोसा दिलाया है। ‘सतरा’ ऐसे धार्मिक केंद्र होत हैं जहाँ बड़ी संख्या में ब्रह्मचारी और गैर-ब्रह्मचारी भक्त और श्रद्धालु निवास करते हैं। इन सतरों के पास विशाल भूमि होती है जिसके कारण इनकी भूमि के अतिक्रमण की आशंका भी बनी रहती है। असम के ये सतरा वैष्णव समुदाय से जुड़े हुए हैं।
गौरतलब मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सँभालते ही सरमा ने गोरक्षा का समर्थन करते हुए साफ कर दिया था कि जहाँ हिन्दू रहते हैं और गौवंश की पूजा करते हैं, वहाँ किसी भी हालत में गौहत्या बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके अलावा उन्होंने भाजपा के घोषणा-पत्र के अनुसार सरकारी भूमि, मंदिर और सतरा की भूमि से अवैध अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया। इसके बाद से कार्रवाई करते हुए प्रशासन लगभग 400 बीघा जमीन अतिक्रमण से मुक्त करा चुका है।