न्यूज़ डेस्क। लाल किले पर हुए उपद्रव में पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू का नाम आते ही किसान नेता, कांग्रेसी और कृषि कानून विरोधी उससे दूरी बनाने लगे थे। आंदोलनकारी किसान नेता दीप को बीजेपी का एजेंटे बताकर अपना पल्ला झाड़ने लगे थे। साथ ही केंद्र सरकार पर दीप सिद्धू को गिरफ्तार नहीं किए जाने को लेकर आरोप लगा रहे थे। अब, जब दिल्ली पुलिस ने सिद्धू को गिरफ्तार कर लिया है, तो इन लोगों के सुर बदल गए हैं और दीप सिद्धू की रिहाई की मांग कर रहे हैं।
‘इंडिया टुडे’ चैनल के डिबेट में किसान नेता रविंदर चीमा ने दीप सिद्धू का बचाव करते हुए कहा कि दीप ने एक बार भी खालिस्तान का नाम नहीं लिया। चीमा ने कहा कि अबतक किसी बात की पूरी जानकारी न हो तो नहीं कहनी चाहिए। जहां तक खालिस्तान की बात है। लाल किले पर दीप सिद्धू या किसी भी किसान आंदोलनकारी ने खालिस्तान का नाम नहीं लिया। किसी ने खालिस्तान का झंडा नहीं लगाया, जो झंडा लगाया गया था, वह निशान साहिब का था, जो गुरुद्वारे में लगता है।
अपने को किसान बताने वाले पपलप्रीत सिंह ने सिद्धू की गिरफ्तारी के बाद खालिस्तान से सहानुभूति रखने वाले दीप सिद्धू को अपना खुला समर्थन दिया है। अभिनेता की एक तस्वीर पोस्ट करते हुए, उन्होंने जोर देकर कहा कि वह अभिनेता के साथ खड़े हैं।
गौरतलब है कि सोमवार रात करीब 10.30 बजे दीप सिद्धू को करनाल से गिरफ्तार किया गया है। वह पुलिस के रडार पर कई दिन से था। गिरफ्तारी से पूर्व, दिल्ली पुलिस ने दीप सिद्धू, जुगराज सिंह, गुरजोत सिंह और गुरजंत सिंह की सूचना देने वाले को 1 लाख रूपए का नकद इनाम देने की घोषणा की थी।
लाल किले पर उपद्रव के बाद कांग्रेस ने दीप सिद्धू को बलि का बकरा बना दिया, और सिद्धू को ‘भाजपा एजेंट’ के रूप सामने रखना शुरू कर दिया था। इससे पहले नवंबर माह में, जैसे ही दीप सिद्धू मोदी सरकार के खिलाफ विरोध का चेहरा बने, कांग्रेस पार्टी ने खुले तौर पर पगड़ी पहने अभिनेता के ‘किसान’ होने का दावा किया था और कृषि कानूनों के खिलाफ उनके विरोध का समर्थन किया था। कांग्रेस आईटी सेल के सदस्य गौरव पाँधी, जिसने 28 नवंबर को दीप सिद्धू के कार्यों का बचाव किया था, ने सिद्धू की पीएम मोदी के साथ ली गई एक बेहद रेंडम तस्वीर के आधार पर सिद्धू को भाजपा से जोड़ दिया था।
पिछले साल 28 नवंबर को सोशल मीडिया पर दीप सिद्धू का वीडियो वायरल होने के बाद अभिनेता और खालिस्तान समर्थक दीप सिद्धू प्रमुखता से किसान आन्दोलन के बीच चेहरा बनकर सामने आए। सिद्धू ने झूठे आरोप लगाए थे कि सरकार ने किसानों की जमीनों को छीनने के लिए कृषि कानूनों को पारित किया है।
दीप सिद्धू के वीडियो को ट्विटर पर आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और वाम-उदारवादियों का खूब समर्थन भी मिला। उन्हें ‘किसान’, ‘किसान का बेटा’ कहकर शुरू से ही किसान-विरोधी कानून आंदोलन से जोड़ दिया गया। यह और तथ्य है कि दीप सिद्धू ने बरखा दत्त के साथ एक साक्षात्कार में खालिस्तानी आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले की निंदा करने से इनकार कर दिया था।