न्यूज़ डेस्क। हाल में ही पुरे देश ने महात्मा गांधी की 151वीं जयंती मनाई है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का महत्वाकांक्षी ‘स्वच्छ भारत अभियान’ ने भी अपने 6 साल का सफर पूरा कर लिया है। इस अभियान की शुरुआत 2 अक्टूबर, 2014 को हुई थी। प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तिगत प्रयासों से यह अभियान अब एक जन आंदोलन बन चुका है। प्रधानंत्री मोदी और उनकी सरकार के अथक प्रयासों का परिणाम है कि जहां देश को खुले में शौच से मुक्ति मिली, वहीं शहरों और गांवों को साफ रखने में भी इस अभियान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
स्वच्छ शहर, स्वच्छ भारत
स्वच्छ भारत अभियान के तहत अभी तक 4,327 शहरी स्थानीय निकायों को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया जा चुका है। 66 लाख व्यक्तिगत घरेलू शौचालय और 6 लाख से अधिक सामुदाय/सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण पूरा किया गया। पिछले 6 सालों में स्वच्छता एवं ठोस कचरा निष्पादन के क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जो कि इस अभियान के लक्ष्य से कहीं अधिक है।
शहरों में कचरे की प्रोसेसिंग में 4 गुना बढ़ोतरी
आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अभी तक 1,319 शहर ओडीएफ + और 489 शहर ओडीएफ ++ प्रमाणित किए गए हैं। 2900 से अधिक शहरों में 59,900 शौचालयों के बारे में जानकारी गूगल मैप पर उपलब्ध है। एसडब्ल्यूएम के तहत 97 प्रतिशत वार्डों में डोर-टू-डोर कलेक्शन पूरा हो चुका है। 77 प्रतिशत वार्डों में कचरे का स्रोत पृथक्करण किया गया है, जबकि कुल 67 प्रतिशत कचरे की प्रोसेसिंग की जा रही है। 2014 में कचरे की प्रोसेसिंग का स्तर 18 प्रतिशत था, जो अब इसमे लगभग 4 गुना बढ़ोतरी हो चुकी है।
स्वच्छता के आधार पर शहरों को मिला दर्जा
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने 2018 में कचरा मुक्त शहरों की स्टार-रेटिंग के लिए प्रोटोकॉल’ (Protocol for Star-Rating of Garbage-Free Cities) लॉन्च किया। इसके अंतर्गत 7-स्टार रेटिंग सिस्टम के आधार पर शहरों की रेटिंग की जाती है। यह रेटिंग ठोस कचरा प्रबंधन के लिए निर्धारित स्वच्छता संकेतकों पर आधारित है। इस प्रोटोकॉल के अनुसार इंदौर, अंबिकापुर, नवी मुंबई, सूरत, राजकोट और मैसूरु को 5-स्टार सिटी, 86 शहरों को 3-स्टार सिटी और 64 शहरों को 1-स्टार सिटी के रूप में दर्जा दिया गया है।
स्वच्छता कामगारों की गरिमामयी आजीविका
मोदी सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता कामगारों और अनौपचारिक कचरा बीनने वालों की गरिमामयी आजीविका पर जोर दिया है। 84,000 से अधिक अनौपचारिक कचरा बीनने वालों को मुख्यधारा में एकीकृत किया गया, जबकि 5.5 लाख से अधिक स्वच्छता कामगारों को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं में शामिल किया गया।
कर्मचारियों और अधिकारियों की क्षमता में बढ़ोतरी
अरबन लोकल बॉडी (यूएलबी) के कर्मचारियों और अधिकारियों की क्षमता में इज़ाफा करना स्वच्छ भारत अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके तहत मंत्रालय ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (एनआईयूए) की मदद से भारत भर में 3,200 से अधिक यूएलबी के 6,000 से अधिक पदाधिकारियों की भागीदारी के साथ क्षमता निर्माण के लिए 150 से अधिक कार्यशालाओं का आयोजन किया।
खुले में शौच से मुक्त हुआ भारत
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) ने स्वच्छता के लिए एक जन आंदोलन का रूप लेकर ग्रामीण भारत की तस्वीर बदल दी है। इसने 2 अक्टूबर, 2019 को देश के सभी गांवों, जिलों और राज्यों द्वारा खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषणा की ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जिससे ग्रामीण भारत खुले में शौच की समस्या से पूरी तरह से मुक्त हो चुका है। 2 अक्टूबर, 2014 को एसबीएम (जी) की शुरुआत के समय ग्रामीण स्वच्छता कवरेज 38.7 प्रतिशत था, जो बढ़कर अब सौ प्रतिशत हो चुका है। 2 अक्टूबर, 2014 से अब तक 10.68 करोड़ से अधिक घरेलू शौचालयों का निर्माण किया गया है। खुले में शौच मुक्त गांवों की संख्या बढ़कर 6.03 लाख और जिलों की संख्या बढ़कर 706 हो गई है। खुले में शौच मुक्त राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या 35 है।
दूसरे चरण में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण)
19 फरवरी, 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दूसरे चरण को 2024-25 तक के लिए मंजूरी दी। इस चरण को 1,40,881 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय से मिशन मोड में कार्यान्वित किया जाएगा। इसमें खुले में शौच से मुक्ति के बाद सार्वजनिक शौचालयों में बेहतर सुविधाओं (ओडीएफ प्लस) पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिसमें खुले में शौच मुक्त अभियान को जारी रखना और ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) भी शामिल होगा। इस कार्यक्रम में यह सुनिश्चित किया गया है कि एक व्यक्ति भी न छूटे और हर व्यक्ति शौचालय का इस्तेमाल करे।
CMSC के लिए वित्तीय सहायता में बढ़ोतरी
इस कार्यक्रम के अंतर्गत व्यक्तिगत घरेलू शौचालय (IHHL) के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा मानदंडों के अनुसार नये पात्र घरों को 12,000 रुपये की राशि प्रदान करने का प्रावधान जारी रहेगा। ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन (SLWM एसएलडब्ल्यूएम) के लिए वित्त पोषण मानदंडों को युक्तिसंगत बनाया गया है और घरों की संख्या को प्रति व्यक्ति आय से बदल दिया गया है। इसके अलावा, ग्राम पंचायतों को ग्रामीण स्तर पर सामुदायिक स्वच्छता परिसर के निर्माण (CMSC) के लिए वित्तीय सहायता को बढ़ाकर 2 लाख से 3 लाख रुपये कर दिया गया है।
एसबीएम-जी का दूसरा चरण रोजगार सृजन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को घरेलू शौचालय एवं सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के माध्यम से प्रोत्साहन देना जारी रखेगा। साथ ही एसएलडब्ल्यूएम के लिए बुनियादी ढांचे जैसे कि खाद के गड्ढे, सोखने वाले गड्ढे, अपशिष्ट स्थिरीकरण तालाब, शोधन संयंत्र आदि।
स्वच्छ भारत मिशन अकादमी की शुरुआत
केन्द्रीय जल मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने 11 अगस्त, 2020 को एसबीएम (जी) के चरण 2 के तहत स्वच्छ भारत मिशन अकादमी को लॉन्च किया। यह अकादमी अपनी मोबाइल आधारित तकनीक के साथ स्वच्छाग्रहियों को प्रशिक्षण देने के साथ-साथ पीआरआई सदस्यों, समुदाय-आधारित संगठनों, गैर-सरकारी संगठनों, एसएचजी और अन्य लोगों की क्षमता निर्माण के प्रयासों को भी बढ़ावा देगी। अकादमी की फोन-आधारित ऑनलाइन सेवा नि:शुल्क तरीके से मांग के अनुसार कहीं भी और कभी भी उपलब्ध होगी।
आईवीआर आधारित प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में ओडीएफ-एस के साथ-साथ एसएलडब्ल्यूएम के तहत विभिन्न विषयों में 60 मिनट का एक पाठ्यक्रम शामिल है। एसबीएम अकादमी पाठ्यक्रम में चार अध्याय हैं, प्रत्येक में चार ऑडियो पाठ और अध्याय के अंत में एक बहु-विकल्प प्रश्नोत्तरी है। पाठ्यक्रम में सफल माने जाने के लिए, उपयोगकर्ता को कम से कम 50 प्रतिशत प्रश्नों का सही उत्तर देना होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने दिया ‘गंदगी भारत छोड़ो’ का नारा
प्रधानमंत्री ने मोदी ने 8 अगस्त, 2020 को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत बनाए गए ‘राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र’ का उद्घाटन किया। महात्मा गांधी को समर्पित किए गए इस केंद्र में लोगों को स्वच्छ भारत मिशन की सफलता और स्वच्छता के फायदों के बारे में बताया जाएगा। राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने बच्चों से संवाद किया और उन्हें स्वच्छता की लड़ाई में अपनी सेना बताया। महात्मा गांधी ने 8 अगस्त के ही दिन आजादी की लड़ाई का आंदोलन शुरू करते हुए अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया था। इसी तर्ज पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी ‘गंदगी भारत छोड़ो’ का नया नारा दिया।
स्वच्छता आभियान बना जन आंदोलन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2 अक्टूबर, 2014 को स्वच्छ भारत अभियान शुरू करते हुए खुद हाथों में झाड़ू थामी थी तो पूरे देश ने हाथ में झाड़ू थाम लिया था। आज यह अभियान एक जन आंदोलन बन चुका है। एक ऐसा सच्चा ‘जन–आंदोलन’, जिसमें स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 के तहत 12 करोड़ से ज्यादा नागरिकों की भागीदारी रिकार्ड की गई है। स्वच्छ सर्वेक्षण आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा कराया जाने वाला वार्षिक सर्वेक्षण है।
ग्लोबल गोलकीपर अवार्ड से पीएम मोदी सम्मानित
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्वच्छ भारत अभियान के लिए बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की ओर से ‘ग्लोबल गोलकीपर अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार भारत में पचास करोड़ लोगों को स्वच्छ, स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के प्रति आभार का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी ने पुरस्कार को 130 करोड़ भारतीयों को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि ये सम्मान उन भारतीयों को समर्पित है जिन्होंने स्वच्छ भारत मिशन को एक जनआंदोलन में बदला।
डब्ल्यूएचओ ने की स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की तारीफ की है। ‘स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण)’ के स्वास्थ्य लाभों पर अपने अध्ययन में डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि इस कार्यक्रम से तीन लाख से अधिक लोगों की जिंदगियां बच सकती हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 2014 में स्वच्छ भारत मिशन शुरू होने से पहले स्वच्छता नहीं होने से हर साल डायरिया के 19.9 करोड़ मामले सामने आते थे। ये धीरे-धीरे घट रहे हैं। अध्ययन में पेयजल आपूर्ति, स्वच्छता सेवाओं, व्यक्तिगत स्वच्छता में सुधार का सबूत मिला जिसका सकारात्मक स्वास्थ्य प्रभाव रहा।
प्रधानमंत्री मोदी ने रखी शौचालय की नींव
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के सामने उस समय मिसाल पेश की, जब उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी के शहंशाहपुर गांव में अपने हाथों से पहली बार शौचालय की नींव रखी। इसके बाद पीएम मोदी ने कहा कि मैं जिस गांव में गया, वहां शौचालय में लिखा हुआ था- इज्जत घर। ये हमारी महिलाओं की इज्जत के लिए ही है। जो महिलाओं की इज्जत चाहेगा, वो शौचालय जरूर बनाएगा।
जब PM मोदी ने स्वयं उठाया झाड़ू
महात्मा गांधी के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2 अक्टूबर, 2014 को दिल्ली के मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन के पास स्वयं झाड़ू उठाकर स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी। फिर वो वाल्मिकी बस्ती पहुंचे और वहां भी साफ-सफाई की और कूड़ा उठाया। उन्होंने इस अभियान को जन आंदोलन बनाते हुए देश के लोगों को मंत्र दिया था, ‘ना गंदगी करेंगे, ना करने देंगे’।
प्रधानमंत्री ने स्वयं कुदाल उठाकर की सफाई
प्रधानमंत्री इस कार्य को और आगे बढ़ाते रहे, वो अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी पहुंचे और वहां भी खुद आगे बढ़कर सफाई अभियान को गति देने का काम किया। पीएम मोदी ने काशी के अस्सी घाट पर गंगा के किनारे कुदाल से साफ-सफाई की। इस मौके पर भारी संख्या में स्थानीय लोगों ने स्वच्छ भारत अभियान में उनका साथ दिया।
हर वर्ग का मिल रहा है साथ
देश में एक से बढ़कर एक लोग इस अभियान से जुड़ते चले गए और स्वच्छ भारत अभियान एक राष्ट्रीय आंदोलन बनता चला गया। सरकारी अधिकारियों से लेकर, सीमा की रक्षा में जुटे वीर जवानों तक, बॉलीवुड कलाकारों से लेकर नामचीन खिलाड़ियों तक, बड़े-बड़े उद्योगपतियों से लेकर आध्यात्मिक गुरुओं तक, सभी इस पवित्र कार्य से जुड़ते चले गए। इसमें अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल और मैरी कॉम जैसी हस्तियों के योगदान बेहद सराहनीय हैं।
‘मन की बात’ में सराहना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘मन की बात’ में लगातार देश के विभिन्न व्यक्तियों और संगठनों के उन प्रयासों की सराहना की है, जिसने स्वच्छ भारत अभियान को व्यापक रूप से सफल बनाने में मदद की है।