नई दिल्ली। आए दिन प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी से PM केयर्स फंड के एक-एक पैसे का हिसाब मांगा जा रहा है। जितने लोगों ने इस फंड में दान किया है, वे सभी उत्सुक हैं, यह जानने के लिए कि आखिर PM मोदी ने हमारे पैसे को कहां और कैसे खर्च किया है। बेशक उसका हिसाब तो अब तक प्रधानमंत्री या PMO की ओर से सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन इससे इतर मंगलवार रात 8 बजे PM मोदी के देश के नाम संदेश के दौरान किए अए आर्थिक पैकेज के ऐलान का गणित हम जरूर समझ सकते हैं।
ज्ञात हो कि कोरोना वायरस की वजह से सुस्त पड़ी देश की इकोनॉमी को रफ्तार देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने एक बड़े विशेष आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है।
बीते मंगलवार को PM मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार के हाल के निर्णय, रिजर्व बैंक की घोषणाओं को मिलाकर यह पैकेज करीब 20 लाख करोड़ रुपये का होगा। यह देश के सकल घरेलू उत्पाद यानि GDP का लगभग 10 प्रतिशत है। अहम बात यह है कि यह राहत पैकेज सरकार के व्यय लक्ष्य से सिर्फ 10 लाख करोड़ रुपये कम है। ज्ञात हो कि सरकार ने साल 2020-21 के लिए 30 लाख 42,230 करोड़ रुपये का बजट पेश किया है।
इस रकम में विभिन्न मंत्रालयों और कार्यों के लिए करोड़ों रुपये का आवंटन किया जा चुका है, लेकिन क्या आपको पता है कि सरकार को मिलने वाला हर एक रुपया कहां से आता है और कहां खर्च होता है? आइए जानते हैं, रुपये के आने और खर्च होने का पूरा गणित। ये कैलकुलेशन सरकार को मिलने और खर्च होने वाले 1 रुपये के हिसाब से समझते हैं।
कहां से आता है 1 रुपया
- प्रत्येक एक रुपये में से 20 पैसे उधारी व अन्य देनदारियों से
- 18 पैसे कॉरपोरेशन टैक्स से
- 17 पैसे आयकर से, इसमें कस्टम टैक्स का 4 पैसे है हिस्सा
- केंद्रीय एक्साइज ड्यूटी इस एक रुपये में 7 पैसे का योगदान देती है
- जीएसटी व अन्य टैक्स 18 पैसों का योगदान रुपये में देता है
- नॉन टैक्स रेवेन्यू से 10 पैसे हासिल होते हैं और कैपिटल रिसिट से 6 पैसे आते हैं
- कैपिटल रिसिट में अधिकतर हिस्सेदारी बाजार से उधारी की होती है।
कहां खर्च होता है 1 रुपया
- 20 पैसे राज्यों को टैक्स में भागीदारी के रूप में दिए जाते हैं
- 18 पैसे ब्याज के भुगतान में होते हैं खर्च
- 13 पैसे केंद्रीय सेक्टर की स्कीमों में होते हैं खर्च
- वित्त आयोग व अन्य में 10 पैसे चले जाते हैं
- केंद्रीय सरकार द्वारा प्रायोजित स्कीमों के लिए रुपये में से 9 पैसे रखे जाते हैं
- प्रत्येक एक रुपये में से 8 पैसे रक्षा से जुड़े व्यय पर खर्च होते हैं
- 6 पैसे सब्सिडी पर खर्च हो जाते हैं
- पेंशन पर 6 पैसे जबकि शेष बचे 10 पैसे सरकार के अन्य खर्चों के लिए
- कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए कुल 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज का ऐलान हुआ है। इसमें सरकार के हाल के निर्णय, रिजर्व बैंक की घोषणाओं की रकम भी शामिल है।
कहां से आता है 1 रुपया
सरकार को मिलने वाले प्रत्येक एक रुपये में से 20 पैसे उधारी व अन्य देनदारियों से मिलते हैं। वहीं 18 पैसे कॉरपोरेशन टैक्स से मिलते हैं। सरकार को मिलने वाले रुपये में 17 पैसे आयकर से हासिल होते हैं। इस रुपये में कस्टम टैक्स का हिस्सा 4 पैसे है। केंद्रीय एक्साइज ड्यूटी इस एक रुपये में 7 पैसे का योगदान देती है। जीएसटी व अन्य टैक्स 18 पैसों का योगदान रुपये में देता है। नॉन टैक्स रेवेन्यू से 10 पैसे हासिल होते हैं और कैपिटल रिसिट से 6 पैसे आते हैं। कैपिटल रिसिट में अधिकतर हिस्सेदारी बाजार से उधारी की होती है।
कहां खर्च होता है 1 रुपया
सरकार को मिलने वाले रुपये की तरह खर्च होने का भी अपना हिसाब है। सरकार के प्रत्येक एक रुपये की आमदनी में 20 पैसे राज्यों को टैक्स में भागीदारी के रूप में दिए जाते हैं। वहीं 18 पैसे ब्याज के भुगतान में खर्च हो जाते हैं। इसके अलावा 13 पैसे केंद्रीय सेक्टर की स्कीमों में खर्च होते हैं। वित्त आयोग व अन्य में 10 पैसे चले जाते हैं। इसी तरह, केंद्रीय सरकार द्वारा प्रायोजित स्कीमों के लिए रुपये में से 9 पैसे रखे जाते हैं। प्रत्येक एक रुपये में से 8 पैसे रक्षा से जुड़े व्यय पर खर्च होते हैं। इसके अलावा 6 पैसे सब्सिडी पर खर्च हो जाते हैं। वहीं पेंशन पर 6 पैसे जबकि शेष बचे 10 पैसे सरकार के अन्य खर्चों के लिए होते हैं।