11 विधायकों के इस्तीफे के बाद कुमारस्वामी (कर्नाटक)सरकार पर छाए संकट के बादल

11 विधायकों के इस्तीफे के बाद कुमारस्वामी (कर्नाटक)सरकार पर छाए संकट के बादल

बेंगलुरू। कर्नाटक में एक बार फिर से कुमारस्वामी सरकार पर संकट के बादल छाए हुए हैं। मौजूदा सरकार के 11 विधायक विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने से कर्नाटक में शनिवार को कांग्रेस-जनता दल (सेक्युलर) गठबंधन सरकार के ग्यारह विधायकों के इस्तीफे के बाद राज्य सरकार पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। सत्ताधारी गठबंधन में शामिल कांग्रेस से आठ और जनता दल (सेक्युलर) के तीन विधायकों ने अपना इस्तीफा विधानसभा स्पीकर के.आर. रमेश कुमार को सौंप दिया है।

उधर, विधानसभा स्पीकर को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद कर्नाटक-जेडीएस के बागी विधायकों ने बेंगलुरू में राजभवन जाकर राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाकात की।

कांग्रेस के जिन विधायकों ने स्पीकर को अपना इस्तीफा सौंपा है, उनमें पूर्व गृह मंत्री और सात बार के विधायक रामलिंगा रेड्डी, रमेश जर्किलोही, महेश कुमाथहल्ली, एसटी सोमशेखर, बीए बसावराज, बीसी पाटिल, प्रतापगौड़ा पाटिल और शिवराम हेबर हैं। विधानसभा स्पीकर कार्यालय ने इस बात की पुष्टि की है।

जबकि, जेडीएस के तीन विधायक हैं- एएच विश्वनाथ, जिन्होंने पिछले महीने पार्टी के राज्य अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था। इसके अलावा, के. गोपालियाह और नारायण गौड़ा हैं।

एच. विश्वनाथ ने कहा- कर्नाटक के कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार में राज्य सरकार के खिलाफ 14 विधायकों ने अब अपना इस्तीफा दिया है। हम राज्यपाल से भी मिले। हमने स्पीकर को लिखते हुए अपना इस्तीफा स्वीकार करने के लिए कहा है। गठबंधन सरकार कर्नाटक की जनता के उम्मीदों को पूरा नहीं कर पा रही है।

कर्नाटक में सत्ताधारी गठबंधन के ग्यारह विधायकों के इस्तीफे के लेकर कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने कहा- “लोग डीके शिवकुमार के व्यवहार को देख रहे हैं। जो विधायक इस्तीफा देने गए थे उनमें से कुछ के इस्तीफे पत्र उन्होंने स्पीकर ऑफिस के अंदर ही फाड़ दिए। यह निंदनीय है।”

जबकि, बीजेपी नेता डीवी सदानंद गौड़ा ने ग्यारह विधायकों के इस्तीफे पर कहा- उन्होंने यह सोचा कि यह सही समय है पार्टी के खिलाफ आने का और विधायक पद से इस्तीफा देने का, क्योंकि वे सोचते हैं कि उनका विधायक बने रहना उनके क्षेत्र और राज्य के हित में नहीं है।

इन विधायकों का इस्तीफा कांग्रेस विधायक आनंद सिंह की तरफ से स्पीकर को दिए अपने इस्तीफे के एक हफ्ते बाद हुआ है। आनंद सिंह ने खदान की जमीन बेचने को लेकर सरकार के साथ मतभेद का आरोप हुए अपना इस्तीफा स्पीकर को सौंपा था।

इन 12 विधायकों के इस्तीफे के बाद, अगर यह स्वीकार हो जाते हैं तो सदन की कुल संख्या घटकर 212 रह जाएगी। भारतीय जनता पार्टी के पास कुल विधायकों की संख्या 105 है, लेकिन सरकार बनाने के लिए दो की संख्या कम पड़ रही है।

विधानसभा में प्रवेश करते समय संवाददाताओं से बात करते हुए रेड्डी ने कहा उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि उन्हें किनारा किया जा रहा है और उनके इस्तीफे के पीछे यह कारण था। उन्होंने कहा- “कांग्रेस वर्किंग प्रसिडेंट ईश्वर खंडारे मुझसे मिले और मुझे मनाने की कोशिश की। मैंने पहले कहा था कि मैं दरकिनार महसूस कर रहा हूं और मेरे खिलाफ भेदभाव किया जा रहा है। कांग्रेस और पार्टी की आलाकमान के खिलाफ मुझे कुछ नहीं कहना है।”

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