खूबसूरत मालगांव का खूबसूरत है ’हमर गौठान’
गरियाबंद। जिला मुख्यालय गरियाबंद से मात्र 4 कि.मी. की दूरी पर एक खूबसूरत गांव मालगांव बसा है। जिले की जीवनदायिनी पैरी नदी के किनारे बसे गांव के एक ओर पहाड़ी है। खेत-खलिहान और हरियाली इस गांव की पहचान है। रायपुर-गरियाबंद मार्ग पर सड़क के दोनों किनारों पर बसा यह गांव मूलतः किसानों का गांव है। गांव की जनसंख्या लगभग 1800 है और 250 से ज्यादा घर है। यहां के किसान भी गाय,भैंस,बकरी पालन करते हैं। गांव में बढ़ती आबादी और खेती योग्य भूमि कम होने के कारण चारागाह और गौठान की समस्या पहले से ही है। इस खूबसूरत गांव का पुराना गौठान सड़क के किनारे ही बनाया गया है। कहने को तो वो गौठान है, परन्तु छोटी सी जगह में 500 मवेशियों के लिए जगह उपयुक्त नहीं है। गौठान गोबर और कीचड़ से सने पडे़ हैं। मवेशी घुटनों तक कीचड़ में डूबे रहते हैं, ऊपर से पानी निकासी की समस्या। कहा जाये तो यह गौठान न तो उचित जगह पर है ना ही उपयुक्त है। गांव की खूबसूरती को यह गौठान धूमिल करती है।
गांव में किसान पशु बेचने पर मजबूर हो रहे हैं। बढ़ती आबादी और घटते चारागाह की मार झेल रहे इस गांव के किसानों ने बताया कि अपने मवेशी का रखरखाव व जगह की कमी से इस कदर परेशान थे कि मवेशी को अन्यत्र भेज रहे हैं, बेच भी रहे हैं या बेचने का मन बना चुके हैं। गांव के किसान और पशुपालक बुधराम ध्रुव अपने 7-8 मवेशी को अपने रिश्तेदार के यहां छोड़ आये हैं। गांव के और भी किसान मवेशी को इधर-उधर भेजने या गौशाला भेजने का मन बना लिए थे।
जब से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार बनी है तब से नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी योजना के माध्यम से मवेशियों के लिए गौठान विकसित किये जा रहे है। गांव के लोगों को जब पता चला कि मालगांव में इस योजना के तहत गौठान बनेगा, तब से मवेशियों को इधर-उधर भेजने का मन बदल दिये हैं। किसान रामेश्वर ध्रुव ने बताया कि पहले उन्होंने भी अपने 5-6 मवेशी को बाहर भेजने का मन बना लिया था। परंतु अब हमर गौठान में वे अपने मवेशी के लिए सुरक्षित स्थान देख रहे है। गांव के आवारा पशुओं को भी रखने का एक अच्छा जगह मिल जायेगा।
पंचायत के सरपंच यशवंत ध्रुव और ग्राम पंचायत सचिव शत्रुघन साहू ने बताया कि ग्राम वासियों की मद्द से पोरा डोंगरी के नीचे 4 एकड़ जमीन का चयन किया गया। जहां अब गौठान लगभग बनकर तैयार है। गौठान में जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में 3 मचान, 3 पैरावट, 4 कोटना, एक बोर, 3-3 वर्मीबेड और मवेशियों के लिए 2 फूडर टैंक का भी निर्माण किया गया है। बीच-बीच में स्थित पेड़ो की प्राकृतिक छाया भी मवेशी को मिलेगा। गौठान के पास 4 एकड़ क्षेत्र में चारागाह विकास के लिए भी जगह चयन कर लिया गया है। पोरा डोंगरी के नीचे एक खूबसूरत सी समतल जगह पर मवेशी के लिए बन रहा गौठान और पुराने गौठान की तस्वीर बिल्कुल भिन्न है। एक तरफ हमर गौठान सर्वसुविधायुक्त और बड़ी जगह वहीं दूसरी ओर कीचड़, गंदगी और गोबर से सराबोर पुराना गौठान।
गांव के युवा सुखन निषाद व दुर्गेश यादव बताते है कि नयेे गौठान बनने से मवेशियों के लिए एक सुरक्षित स्थान मिल गया है। वहीं पुराने गौठान की जगह पर बाजार विकसित किया जा रहा है। सड़क के किनारे होने के कारण यह बाजार के लिए उपयुक्त जगह है। इससे गांव की आय भी बढे़गी और खूबसूरती भी अर्थात् अब खूबसूरत मालगांव खूबसूरत ही रहेगा।
* कभी सोचते थे मवेशियों को बेचें पर अब मन बदल गया
* 4 एकड़ में बन रहा सुविधायुक्त नया गौठान, पुराना गौठान कीचड़ और गोबर से सराबोर रहता था