जीवन मिला है तो सदकर्म व परोपकार करो – स्वामी परिवाज्रक
रायपुर। जीवन निर्माण शिविर के पहले दिन गुजरात से आए स्वामी विवेकानंद परिवाज्रक ने तीन अनादि सत्ताओं का उल्लेख किया जो हैं प्रकृति, आत्मा और परमात्मा। अनादि का अर्थ है जिसकी न तो शुरूआत है और न ही अंत। इन तीन सत्ताओं के बगैर दुनिया नहीं चल सकती। मनुष्य जीवन के उद्देश्य के विषय में कहा कि संसार में कोई भी मनुष्य न तो पूरी तरह सुखी है और न ही पूरी तरह दुखों से मुक्त। जब तक यह शरीर है सुख और दुख आते जाते रहेंगे जिस प्रकार मौसम में सर्दी, गर्मी और बरसात। यदि आप पूरी तरह दुखों से मुक्त होना चाहते हैं तो अपने आप को निष्काम कर्म करते हुए ईश्वर की राह में चलते हुए मोक्ष प्राप्त करने का प्रयास निरंतर करना चाहिए। यही जीवन का सारगर्भित सत्य और उद्देश्य है।
सिविल लाइन स्थित वृंदावन सभागार में पतंजलि योग समिति, भारत स्वाभिमान न्यास, वैदिक सत्संग और युवा भारत के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित उक्त शिविर में स्वामी विवेकानंद परिवाज्रक ने कहा कि कर्म दो प्रकार के होते हैं एक सकाम और दूसरा निष्काम। कर्म के अनुसार ही मनुष्य को फल मिलता है इसलिए जीवन मिला है तो परोपकार करो,सद्कर्म के मार्ग पर चलो,जरूरतमंदों की सहायता करो, व्यसन और अपराध से दूर रहो। जैसी भावना और उद्देश्य लेकर कर्म करोगे फल भी वैसा ही मिलेगा। यह भी दो प्रकार का होता है एक सांसारिक फल और दूसरा निष्काम फल।
सारे संसार के जीवों में सुख भोगने की इच्छा रहती है, इच्छाएं अनंत हैं। जितनी इच्छाए पूरी होगी उतनी ही बढ़ेगी। इसलिए यदि मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं तो वेदों को पढ़ें, साधना व तपस्या करें। जिससे इच्छाओं से दूर होते जायेंगे। एक समय ऐसा आयेगा कि कोई भी इच्छा नहीं रहेगी और सिर्फ परमात्मा ही नजर आयेंगे और मोक्ष की प्राप्ति होगी। जिज्ञासु सदस्यों ने जीवन निर्माण से जुड़े विषयों पर सवाल-जबाव भी किया।
पतंजलि योग समिति के डा. राकेश दुबे ने बताया कि यह स्वामीजी वैदिक संत है इसलिए पूरी बातें वेदों के अनुसार ही होती है यथार्थ व विज्ञान की तर्कों पर जीवन संदेश दिया जा रहा है। शिविर का कल समापन दिवस है। इससे पूर्व बिजनौर से आए योगेशदत्त आर्य और उनकी टीम ने संगीतमय भक्ति सत्संग कराया।
00 वृंदावन सभागार में जीवन निर्माण शिविर