धनुष यज्ञ बाबा की याद में बाबा रोटी पर्व
रायपुर। महामारी के प्रकोप से छुटाकार दिलाने वाले योगी धनुष याज्ञ बाबा के याद में बाबा रोटी पर्व मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ में रोटी पूजा की अनोखी परम्परा 3 सौ वर्षों से चली आ रही है। राजधानी के डूमरतराई इलाके में ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष के तीसरे मंगलवार को धनुष यज्ञ बाबा की याद में बाबा रोटी पर्व मनाया गया। गोबर के कंडे के सहारे रोटी को हल्के आग में बनाया जाता है। इस दौरान ग्रामीणों ने तालाब के किनारे रोटी बनाकर एक-दूसरे को खिलाया। पूरे गांव में मेला-मड़ई की धूम है। रात्रिकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रंगारंग प्रस्तुतियां स्थानीय कलाकारों द्वारा दी गई।
ऐसी मान्यता है कि, ढाई से तीन सौ वर्ष पूर्व डूमरतराई इलाके में महामारी और हैजा का प्रकोप था, तभी बूढ़ापारा मंदिर के योगी धनुष यज्ञ बाबा ने गांव को महामारी से छुटकारा दिलाया था। ग्रामीण मोहन लाल धीवर, चंदन धीवर, सूर्यकांत धीवर, प्रेम लाल धीवर, डूमतराई काली मंदिर पुजारी छगन लाल ने बताया कि धनुष यज्ञ बाबा ने आटा के सहारे पूरे गांव को महामारी और हैजा से बचाया था। उन्होंने आटे से रोटी बनाकर पूरे गांव को खिलाया था, जिसके बाद महामारी नहीं फैली। उसके बाद धनुष यज्ञ बाबा के याद में बाबा रोटी पर्व मनाने की परम्परा चली आ रही है। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष के दूसरे मंगलवार को बाबा रोटी पर्व मनाया जाता रहा है, लेकिन इस बार यह तीसरे मंगलवार को मनाया गया। इस अवसर पर गांव में मेले का आयोजन भी किया गया। दूर-दूर से लोग मेला-मड़ई का आनंद लेने पहुंचे हुए थे। इसके अलावा गांव की बहु-बेटियों ने भी बाबा रोटी पर्व में अपनी सहभागिता निभाई है। उल्लेखनीय है कि हमारे देश में अलग-अलग धर्म, जाति और परम्परा को मानने वाले लोग रहते हैं। वहीं छत्तीसगढ़ में बाबा रोटी पर्व से लोगों में एक-दूसरे के प्रति परस्पर प्रेम भाईचारा बना रहता है।
00 डूमरतराई में रोटी पूजा की अनोखी परम्परा