चंदैनी गोंदा के संस्थापक खुमान साव नहीं रहे
राजनाँदगाँव। छत्तीसगढ़ी गीत-संगीत को देश-दुनिया में बिखेरेने वाले शख्सितयत छत्तीसगढ़ अंचल के सुप्रसिद्ध संगीतकार चंदैनी गोंदा के संस्थापक खुमान साव का आज 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनका निधन उनके गृह ग्राम ठेकुआ में सुबह 5 बजे हुआ. खुमान साव छत्तीसगढ़ी लोककला-जगत के पुरोधा कहे जाते हैं. संगीत के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें संगीत नाटक अकदाम पुरस्कार से सम्मानित किया था. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और संस्कृति मंत्री ताम्रध्वज साहू ने श्रद्धांजलि अर्पित की है।.खुमान साव का जन्म 5 सितंबर 1929 को राजनाँदगाँव जिले में हुआ था. बचपन से उनकी रुचि संगीत में रही है. किशोर अवस्था में वे नाचा के युग पुरूष दाऊ मंदराजी के साथ जुड़ गए थे. बाद में वे राजनाँदगाँव के ही कई आर्केस्टा पार्टी से भी जुड़े रहे. 70 के दशक में उनकी मुलाकात दाऊ रानचंद्र देशमुख से हुई. यहीं से उन्होंने अपने जीवन की एक नई शुरुआत की. देशमुख जी के चंदैनी-गोंदा में वे बतौर संगीत निर्देशक काम करने लगे. इसके बाद उन्होंने गीतकार लक्ष्मण मस्तुरिया के साथ मिलकर अनेक सुपरहिट गाने दिए. खुमान साव ने अंचल के कितने ही कवियों और गीतकारों की रचनाओं को अपने संगीत से लयबद्ध किया.उन्होंने चंदैनी गोंदा के जरिए 5 हजार से अधिक प्रस्तुतियाँ दी.