गणेश कोसले को मिला पीएचडी में प्रवेश
बिलासपुर। गुरूघासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय ने गुरूवार को आखिरकार छात्र गणेश कोसले कों पीएचडी में प्रवेश दे दिया गया। गणेश कोसले सामंदवादियों से लड़ता रहा और कड़े संघर्ष के बाद विश्वविद्यालय को पूर्नविचार कर पीएचडी में प्रवेश देना पड़ा।
गणेश कोसले की आवाज तब लोगों के बीच पहुची जब भीम रेजिमेंट नामक संगठन ने विश्वविद्याल में हो रहे भेद-भाव पर सोशल साईड्स पर वायरल किया । इसके बाद छत्तीसगढ़ जोगी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने छत्तीसगढिय़ों और आरक्षितों के साथ भेद-भाव का आरोप लगाकर कहा कि, सेंट्रल युनिवर्सिटी यूजीसी की नियमों का धज्जियां उड़ा रहा है। इसके बाद यह मीडिया में मामला गर्माया रहा और संयुक्त मोर्चा सहित विभिन्न सामाजिक संगठन सामने आने लगे।
छात्र गणेश कोसले अनुसुचित जाति वर्ग, निवासी-जांजगिर चांपा ग्राम-कोसमंदा कों पीएचडी प्रवेश के लिए चयन समिति ने यह कहकर प्रवेश नहीं दिया कि वे नॉट फॉर सूटेबल यानि वे इसके लिए योग्य नहीं है। विश्वविद्यालय के इतिहास शोध विभाग द्वारा पीएचडी प्रवेश के लिए अनुसूचित जाति वर्ग में 2 सीट आरक्षित है जिसके लिए छात्रों का लिखित परिक्षा व मौखिक साक्षात्कार लिया गया था। इनमें से 1 सीट पर परवेश बर्मन का चयन किया गया था वहीं दूसरे सीट के लिए सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्र गणेश कोसले कों मौखिक साक्षात्कार में अयोग्य ठहराया दिया गया, जिसके बाद 1 एससी आरक्षित सीट भरा ही नहीं गया। जिसके बाद गणेश कोसले ने चयन समिति पर प्रश्नचिन्ह लगाया था, जिसके बाद विश्वविद्यालय पर भेद-भाव व चयन समिति पर जातीय विद्वेष के आरोप लगे थें।
गणेश कोसले ने बताया कि गुरूघासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय में चल रहे भेद-भाव पूर्ण रवैये की शिकायत अजाक थाने में किया था, लेकिंन थाने ने धारा 155 के तहत् मामले कों अयोग्य ठहरा दिया वहीं इसके बाद मामले को लेकर गणेश बताते है कि, व सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस व भाजपा के नेताओं के भी गए सभी ने अश्वासन दिया लेकिन किसी ने इस मामले कों गम्भिर नहीं लिया।
गणेश कोसले के पीएचडी प्रवेश के आदेश मिलने के बाद उन्होंने इसे संविधान की जीत बताया है। गणेश ने समाजिक कार्यकर्ता धनंजय बरमाल सहित उन सभी लोगों को धन्यवाद दिया है जो सामंती व्यवस्था के खिलाफ उसके इस लड़ाई में साथ खड़े रहे।