बाहरी प्रांत के वोटर कहीं ज्योत्सना के लिए बाधक न बन जाएं

बाहरी प्रांत के वोटर कहीं ज्योत्सना के लिए बाधक न बन जाएं

रायपुर। पिछले विधानसभा चुनाव में साफ तौर पर छत्तीसगढिय़ावाद नजर आया था लेकिन अब कि बार राष्ट्रीय मुद्दा होने का चलते लोकसभा में प्रत्याशियों के समीकरण बन व बिगड़ रहे हैं। छत्तीसगढ़ में तीसरे और अंतिम चरण के मतदान का दिन जैसे -जैसे करीब आ रहा है कांग्रेस की सुरक्षित जीत माने जाने वाली कोरबा सीट पर ज्योत्सना महंत की मुश्किलें बिहार, यूपी के मतदाताओं की नाराजगी के चलते बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। ये मतदाता कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत या उनके पति विधानसभा अध्यक्ष डा. चरणदास महंत से नाराज नहीं हैं, बल्कि उनके करीबी राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल से नाराज हैं। कोरबा और कटघोरा विधानसभा समेत आसपास इलाके की जिम्मेदारी भी वही निभा रहे हैं।

जानकारों के मुताबिक सामाजिक शख्स रामाश्रय उपाध्याय से पिछले दिनों उनकी किसी बात पर कहासुनी हो गई और बात थाने तक जा पहुंची है। पुलिस कार्रवाई से बिहार, यूपी के मतदाता खासे नाराज हो गए हैं। कोरबा और कटघोरा इलाके में करीब 70 हजार उत्तर भारतीय मतदाता हैं। मंत्री समर्थकों के काम करने के तौर तरीकों से पूर्वांचल और बिहार के लोग पहले से ही खुश नहीं थे।

गौर करने वाली बात यह है कि महंत पिछला चुनाव मात्र 4200 वोट से हार गए थे। उन्हें सबसे बड़ी पटखनी उन्हीं के सबसे भरोसेमंद विधायक जय सिंह के कोरबा में मिली थी। 2013 के विधानसभा में जय सिंह 14 हजार मतों से जीते थे। उसके तीन महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव में कोरबा में महंत 20 हजार वोट से पिछड़ गए। याने विधानसभा चुनाव की तुलना में 34 हजार वोट कम मिले कांग्रेस को। इस बार कोरबा सीट जीतने के लिए महंत के अलावा कोई चेहरा कांग्रेस के पास नहीं था,स्थिति भी अच्छी है क्योकि सक्ती से विधानसभा में महंत ने दमदार जीत दर्ज कराई थी। विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद महंत सतत संपर्क में भी रहे। वे इस चूक को समझ रहे हैं और वोटरों को साधने के सारे जुगत भी कर रहे हैं।

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