न्यूज़ डेस्क। अगस्त का महीना था जब भारत जी20 के सम्मेलन को ऐतिहासिक बनाने में लगा था। ठीक उसी वक्त चीन भारत के खिलाफ साजिशें रचने में लगा था। चीन ‘वसुधैव कुटुंबकम’ (दुनिया एक परिवार है) को भारत की जी20 अध्यक्षता की थीम के रूप में शामिल करने पर आपत्ति जताई थी। अब उसी भारत के ‘वसुधैव कुटुंबकम’ दर्शन को संयुक्त राष्ट्र ने अपनाया है। भारत ”वसुधैव कुटुम्बकम् ” की अवधारणा को आत्मसात करता चलता है। इसका अर्थ है कि हम पूरी पृथ्वी को एक परिवार की तरह मानते हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के परिसर में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ शिलालेख वाली एक पट्टिका स्थापित की गई है, जो एकता और वैश्विक सहयोग के लिए नई दिल्ली की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। पट्टिका का अनावरण एक विशेष समारोह में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्रबुद्धे और संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा कंबोज ने किया।
President ,ICCR, Dr. @Vinay1011, and India's Permanent Representative to the UN, Ambassador @ruchirakamboj, jointly unveiled the "Vasudhaiva Kutumbakam" plaque, @IndiaUNNewYork.#VasudhaivaKutumbakam #oneearthonefamilyonefuture pic.twitter.com/ts7v77CPDX
— ICCR (@iccr_hq) October 12, 2023
हिंदी में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ और अंग्रेजी में ‘द वर्ल्ड इज वन फैमिली’ वाक्यांश के साथ सोने की रंग की पट्टिका शहर में भारत के स्थायी मिशन के परिसर के प्रवेश द्वार के अंदर एक दीवार पर सजी हुई है। पट्टिका का अनावरण आईसीसीआर के साथ भारत के स्थायी मिशन द्वारा संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने के एक दिन बाद हुआ। वर्ष 2023 के लिए भारत की G20 प्रेसीडेंसी ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ या ‘एक पृथ्वी – एक परिवार – एक भविष्य’ विषय को अपनाया, जो वैश्विक चुनौतियों से निपटने में एकता और सहयोग को प्रभावी ढंग से बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
चीन ने पिछले महीने की G20 ऊर्जा मंत्रिस्तरीय बैठक के साथ-साथ कई अन्य समान G20 दस्तावेजों के दौरान आउटकम डॉक्यूमेंट में इस वाक्यांश और इसके उपयोग का विरोध किया था, मुख्य रूप से क्योंकि संस्कृत संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त छह आधिकारिक भाषाओं में से एक नहीं थी। इसी तरह से G20 के बाकी डॉक्यूमेंट्स में भी इस शब्द का उपयोग है। चीन ने तर्क दिया कि जी-20 दस्तावेज आधिकारिक तौर पर ‘वसुधैव कुटुंबकम’ शब्द का उपयोग नहीं कर सकते। उसका कहना है कि यह एक संस्कृत भाषा का शब्द है और इस भाषा को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की तरफ से मान्यता दी गई। छह आधिकारिक भाषाओं में शामिल नहीं किया गया है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्रबुद्धे ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के परिसर में "वसुधैव कुटुंबकम" पट्टि का का अनावरण किया।
(तस्वीर: यूएन, एनवाई में भारत) pic.twitter.com/0S6mcnrPRQ
— ऑनलाइन भारत न्यूज़ 🇮🇳 #मीडिया-Youtube Channel 📺 (@WebBharat) October 12, 2023
सहस्रबुद्धे ने अनावरण के अवसर पर कहा कि एक तरह से ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के पीछे के दर्शन ने आधुनिक भाषा में जिसे हम ब्रांड इंडिया कह सकते हैं, बनाया है। यह भारत की पहचान है; यह भारत का विश्व दृष्टिकोण है। जिसमें संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के कई भारतीय अधिकारियों, राजनयिकों के साथ-साथ महानिदेशक कुमार तुहिन और उप महानिदेशक अभय कुमार सहित आईसीसीआर के अधिकारियों ने भाग लिया।