चलिए आज फिर कुछ बात करते है बहुत दिन से लिखना पढ़ना छोड़ दिया था, ऐसा लगा मेरे से अच्छे वे पृष्ठ पिछालन पत्रकार है जो बिना कुछ किये सब कुछ पा रहे है, न उनके पास विज़न है न कोई आइडिया और न ही कुछ और तो ऐसे में पढ़ना लिखना बेमानी ही है।
ये सब मै खुद से नहीं कह बोल रहा है, चलिए कारण बताता हु हाल ही में प्रदेश में #भेंट_मुलाकात_युवाओं_के_साथ आयोजन इनडोर स्टेडियम में सम्पन्न हुआ उस पुरे आयोजन को ध्यान से देखे तो उसके लाइक कमेंट और शयेर तीनो को भी मिला दे तो प्रदेश के सुविधा प्राप्त पत्रकार और विभाग दोनों से कम है। वैसे भी वह आयोजन रविवार को था, सो बहुत से लोग तो भौतिक आत्मिक आनंद में लीन थे और ऐसे में किसी से काम की कल्पना करना भी व्यर्थ है।
प्रदेश में क्या चल रहा किसी से छुपा नहीं है, आप सभी सब कुछ देख समझ रहे है, प्रदेश की लगभग योजनाओं को देखें तो या तो नाम बदला गया है या नहीं तो झांसा ही है। मै हर एक योजना के बारे में बता सकता हु कोई भी योजना कारगर नहीं ऐसा क्यों आप सभी जानते है ,,,, बाकि आप समझदार है। है पौने 5 साल हो गए नाम बदलने के अलावा कुछ नहीं हुआ अब तो बस पल पुलिया में भी गाँधी खानदान का टैग लगना बाकि है। बाकि जो बचा है चौपाटीपुर बना के झोक दिए है।
मै पिछले 8 साल से योजना पर काम कर रहा हु बल्कि योजना ही क्यों और कई क्षेत्र में मैंने ठीक ठाक काम किया है थोड़ा बहुत पढता लिखता रहता हु सो नित नए प्रयोग मेरी शैली में शामिल है। आप सभी माननीय से वादा किया था की मै क्या काम करता हु बताऊंगा, तो आज आपके समक्ष रख रहा हु….. , लगभग सभी मेरे ही आइडियास है विज़न है इस लिए मै हर एक का कारण विज़न लिखा सकता हु बता सकता हूँ लेकिन वो पर्याप्त न होगा।
इस सब के बाद दो और ऐसे प्लान है जिन्हे यहाँ नहीं रखा गया है वो इस पटल में नहीं है ऐसा इस लिए क्यों की वो कॉपी पेस्ट कर दिए जाते है, बिलकुल बकवास न समझिये उसका भी उदाहरण बताता हु प्रदेश में सरकार बदलते ही एक खबर प्रकाशित हुई की एक जिलाध्यक्ष 21 लाख रु प्रति माह इसी योजना से उठा रहे थे। जो मेरी ही योजना का कॉपी था।
तो मैंने सभी में बहुत मेहनत की बहुत सीमित संसाधनों में ये सब खड़ा किया जिसमे से कुछ प्रदेश स्तर के है कुछ देश, वो और बात है की उन्हें उचित स्थान नहीं मिला या यु कहें सरकारें बदल गई और उनकी प्राथमिकता कुछ और थी बताने की जरूरत नहीं। ऐसे में आप भी जानते है की सरकारी खाद के बगैर पौधा पेड़ नहीं बनता। सो सब ऐसे ही चल रहा है। अब फिर चुनावी वर्ष है सो फिर इंतज़ार ही है।
बीच में नीतिन गडकरी जी को नागपुर के एक आयोजन में सुना बहुत प्रभावित हुआ, उनकी वाणी में ईमानदारी है सच्चाई है, वर्तमान में जो कोई राजनैतिक जीवन में है या कभी राजनीति करना चाहता है उसकी वाणी में इतनी ही ईमानदार सच्चाई होना चाहिए। सरकार क बहुत साड़ी योजना चल रहे है लेकिन मेरे पास एक योजना है जो किसी भी सरकार की तिजोरी भर सकती है रेवेन्यू जनरेट कर सकती है जिससे पर्यावरण भी संरक्षित रहे और इनकम भी यहाँ एक शक्श है जो इसमें मेरी मदद कर सकते है।