सूर्य नमस्कार नहीं कर सकते तो चंद्र नमस्कार करें, लेकिन योग जरूर करें : वेकैंया नायडू

सूर्य नमस्कार नहीं कर सकते तो चंद्र नमस्कार करें, लेकिन योग जरूर करें : वेकैंया नायडू

लखनऊ। स्वस्थ जीवन के लिए योग अपनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए उप राष्ट्रपति एम वेकैंया नायडू ने शुक्रवार को यहां कहा कि दुनिया भर के अनेक देशों में योग दिन पर दिन लोकप्रिय होता जा रहा है क्योंकि इससे मानसिक तनाव दूर होता है तथा कई गंभीर रोगों से छुटकारा भी मिलता है। उन्होंने कहा कि आज संक्रामक रोगों की तुलना में जीवनशैली पर आधारित असंक्रामक व्याधियों का खतरा बढ़ गया है।उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है कि विश्व में मधुमेह और हृदय रोगों के सर्वाधिक रोगी हमारे देश में हैं।

उपराष्ट्रपति शुक्रवार को लखनऊ के संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में कार्डियोलॉजी सोसायटी ऑफ इंडिया की नेशनल इंटरवेंशन काउंसिल की वार्षिक बैठक के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे।

योग के महत्व को बताते हुये उन्होंने एक घटना का जिक्र किया। उन्होंने कहा, एक बार एक व्यक्ति मेरे पास आया और कहा कि सर योग तो ठीक है लेकिन एक समस्या है । मैने पूछा क्या? सर, सूर्य नमस्कार। फिर मैं उसकी समस्या समझ गया। मैने कहा कि अगर तुम्हें सूर्य नमस्कार से समस्या है तो तुम चन्द्र नमस्कार किया करों। नायडू ने कहा कि सूर्य नमस्कार नहीं कर सकते है तो चंद्र नमस्कार करें लेकिन योग जरूर करें। यह मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए काफी महत्वपूर्ण है। दुनिया भर में योग की धूम है। आज रोमानिया, पेरू, अमेरिका, यूरोप योग सेंटर खुल रहे है ऐसे में हमारे यहां कुछ लोग योग धर्म से जोड़ कर देखते हैं।

उन्होंने कहा कि जीवन को मात्र दीर्घायु कर देना पर्याप्त नहीं, जीवन गुणात्मक रूप से समृद्ध होना चाहिए, जीवन संतुष्ट होना चाहिए। नायडू ने आशा व्यक्त की कि डॉक्टर तथा स्वास्थ्य कर्मी लोगों में स्वस्थ जीवन शैली के प्रति जागृति पैदा करेंगे।

युवाओं में दिल का दौरा पड़ने के बढ़ते मामलों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि आज विश्व भर में लगभग 170 लाख लोग सालाना हृदय रोगों के शिकार हो रहे हैं। भारत में भी 1990 से 2016 के बीच हृदय रोगों के कारण मृत्युदर में 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है ।सबसे अधिक चिन्ता का विषय यह है कि देश में दिल का दौरा पड़ने वाले लोगों में से 40 प्रतिशत, 55 वर्ष से कम आयु वर्ग के हैं। हृदयघात से मरने वाले 25 प्रतिशत लोग 35 वर्ष से कम आयु के हैं।

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