नई दिल्ली। छेड़छाड़, वेश्या, हाउस वाइफ, देह व्यापार जैसे कई शब्दों पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रोक लगा दी है। ये शब्द अदालती कार्यवाही के दौरान कानूनी शब्दावली से बाहर हो जाएंगे। इन शब्दों की बजाय कौन से शब्द इस्तेमाल होंगे, इसके लिए एक पूरी पुस्तिका जारी की गई है। आज सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इस पुस्तिका का विमोचन किया। उन्होंने कहा- “यह न्यायाधीशों और कानूनी समुदाय को कानूनी चर्चा में महिलाओं के बारे में रूढ़िवादी सोच को पहचानने, समझने और बदलने में सहायता करने के लिए है।”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘हैंडबुक ऑन कॉम्बैटिंग जेंडर स्टीरियोटाइप्स’ (लैंगिक रूढ़िवादिता से निपटने संबंधी पुस्तिका) का उद्देश्य न्यायाधीशों और कानूनी समुदाय के सदस्यों को महिलाओं के बारे में हानिकारक रूढ़िवादी सोच को पहचानने, समझने और उसका प्रतिकार करने के लिए सशक्त बनाना है। 30 पन्नों वाली पुस्तिका महत्वपूर्ण मुद्दों, विशेषकर यौन हिंसा से जुड़े मुद्दों पर प्रचलित कानूनी सिद्धांत भी समाहित हैं।
ऐसे शब्दों की बजाय ये शब्द होंगे इस्तेमाल
पुस्तिका में कहा गया है कि “मायाविनी”, या “बदचलन औरत” जैसे शब्दों का उपयोग करने के बजाय “महिला” शब्द का उपयोग किया जाना चाहिए।
“देह व्यापार” और “वेश्या” (Prostitute) जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर भी रोक लगाई गई है और कहा गया है कि इसके स्थान पर “यौन कर्मी” शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा।
“सहवासिनी या रखैल” (Mistress) जैसे शब्दों का उपयोग करने के बजाय- “वह महिला जिसके साथ किसी पुरुष ने शादी के बाहर प्रेम संबंध या यौन संबंध बनाए हैं” अभिव्यक्ति का उपयोग किया जाना चाहिए।
“छेड़छाड़” (Molestation) शब्द को अब “सड़क पर यौन उत्पीड़न” कहा जाएगा।
“समलैंगिक” (Gay) शब्द के बजाय, व्यक्ति के यौन रुझान का सटीक वर्णन करने वाले शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
“गृहिणी” (House Wife) शब्द की जगह और विधिक विमर्श में “गृह स्वामिनी” (Home Maker, होममेकर) का इस्तेमाल किया जाएगा।
“नाजायज” (Illegitimate Child) शब्द के बजाय “गैर-वैवाहिक संबंधों से पैदा हुआ बच्चा या, ऐसा बच्चा जिसके माता-पिता विवाहित नहीं थे” शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा।