न्यूज़ डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अरविंद केजरीवाल को कड़ी फटकार लगाई है। दिल्ली सरकार को यह फटकार दिल्ली एनसीआर रैपिड रेल प्रोजेक्ट को लेकर लगाई गई है। प्रोजेक्ट के लिए पैसे की कमी की बात कहने पर शीर्ष कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए पूछा कि विज्ञापन पर करोड़ों रुपए खर्च करने के लिए पैसे हैं। लेकिन इतनी जरूरी सुविधा के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च के लिए पैसे नहीं हैं? इस मामले की सुनवाई जस्टिस एस के कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच कर रही थी।
‘If ₹1100 Crores Can Be Spent For Ads In 3 Years, Contributions Can Be Made To Infra Projects’: Supreme Court To Delhi Govt On Rapid Rail#SupremeCourt #Delhi #SupremeCourtOfIndia https://t.co/4SgqMFowj1
— Live Law (@LiveLawIndia) July 24, 2023
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने जस्टिस एसके कौल और सुधांशु धूलिया की बेंच के सामने रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए अपनी ओर से फंड देने में असमर्थतता जताई थी। इसके बाद कोर्ट ने दिल्ली सरकार से विज्ञापन पर खर्च हुए पैसों का हिसाब मांग लिया था। दिल्ली सरकार की तरफ से पेश जवाब में बताया गया कि बीते तीन साल मे विज्ञापन पर 1100 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि विज्ञापन पर इतना खर्च किया जा सकता है तो जरूरी इन्फ्रा के लिए पैसे क्यों नहीं दिए जा सकते हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को दो महीने के भीतर रैपिड।
[Delhi-Meerut rapid rail] If ₹1,100 crore can be spent on ads in 3 years, then State can finance infra projects too: Supreme Court
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— Bar & Bench (@barandbench) July 24, 2023
जस्टिस कौल ने विज्ञापनों के लिए किए गए बजटीय आवंटन के बारे में सूचित किए जाने पर दिल्ली सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट एएम सिंघवी से कहा कि या तो आप भुगतान करें या हम आपका विज्ञापन बजट कुर्क कर लेंगे। इसके बाद सिंघवी ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि भुगतान किया जाएगा, लेकिन उचित समयावधि में किश्तों में भुगतान की सुविधा मांगी। जस्टिस कौल ने माना कि भुगतान अनुसूची स्वयं समय की अवधि में फैली हुई है। बेंच को बताया गया कि राज्य निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार संबंधित परियोजनाओं के लिए बजटीय प्रावधान करेगा।
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