न्यूज़ डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार 27 जून को मध्य प्रदेश में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस संबोधन की सबसे बड़ी बात समान नागरिक संहिता यानी Uniform Civil Code (UCC) रहा। पीएम मोदी ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड की वकालत की। उन्होंने कहा, दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा। संविधान में भी सभी नागरिकों को एक समान अधिकार दिए जाने का उल्लेख है। पीएम मोदी के इस संबोधन के बाद एक बार फिर Uniform Civil Code को लेकर चर्चा गर्म है। इसके पक्ष और विरोध में जमकर बातें कही जा रही हैं। कांग्रेस की तरफ से अधिर रंजन चौधरी ने मंगलवार को ही कहा, अगर भाजपा Uniform Civil Code लागू करना चाहती है तो वह संसद के जरिए इसे लेकर आए, उन्हें रोका किसने है? संसद में पेश करने से पहले ही आप विपक्षी पार्टियों को इस पर कोसने लगते हैं। यूसीसी के नाम पर आप कांग्रेस (Congress) और अन्य विपक्षी पार्टियों पर आरोप नहीं लगा सकते।
आजकल हम देख रहे हैं कि Uniform Civil Code के नाम पर ऐसे लोगों को भड़काने का काम हो रहा है…
और सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है- Common Civil Code लाओ: आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी#MeraBoothSabseMazboot pic.twitter.com/Eg1Tk6l956
— Yogi Adityanath (मोदी का परिवार) (@myogiadityanath) June 27, 2023
देश में सभी नागरिकों के समान अधिकार के लिए कैसे यूनिफॉर्म सिविल कोड महत्त्वपूर्ण है सुनिए पीएम @narendramodi जी के विचार pic.twitter.com/csDapWZ69q
— Amit Shah (Modi Ka Parivar) (@AmitShah) June 27, 2023
Uniform Civil Code की अवधारणा इस बात पर टिकी है कि आधुनिक सभ्यता में धर्म और कानून के बीच कोई संबंध नहीं है। यूसीसी देश में रहने वाले सभी धार्मिक समुदायों के लोगों के लिए एक नियम का आह्वान करता है। Uniform Civil Code शब्द का संविधान के अनुच्छेद 44 में भाग 4 में भी स्पष्ट तौर पर उल्लेख है। अनुच्छेद 44 के अनुसार राज्य (सरकार) देश के सबी क्षेत्रों के नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा। Uniform Civil Code के तहत शादी-ब्याह, तलाक, रखरखाव, गोद लेने, विरासत और उत्तराधिकार जैसे तमाम अधिकार सभी नागरिकों के लिए एक जैसे हो जाएंगे।
बड़ी ख़बर-
आम आदमी पार्टी का Uniform civil code को समर्थन
इसके पहले जम्मू कश्मीर से 370 की समाप्ति का भी समर्थन कर चुकी है आप। pic.twitter.com/GET3WR9aRg
— abhishek upadhyay (@upadhyayabhii) June 28, 2023
डॉ. भीमराव अंबेडकर और उनके सहयोगियों ने जब संविधान बनाया तो उस समय कहा था कि Uniform Civil Code वांछनीय है, यानी यह लागू होना चाहिए। लेकिन उन्होंने उस समय इसे स्वैच्छिक रखने का फैसला किया।
https://twitter.com/Sudanshutrivedi/status/1674006650796269574?s=20
Uniform Civil Code भारत में उस समय की देन है, जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था। तत्कालीन ब्रिटिश सरकार चाहती थी कि उस समय भारत में मौजूद अलग-अलग कानूनों में एकरूपता लाई जाए, ताकि कुछ मामलों में सभी नागरिकों के साथ एक जैसा व्यवहार किया जा सके। इस संबंध में ब्रिटिश सरकार ने 1835 में एक रिपोर्ट भी प्रस्तुत की। इसमें विशेषरूप से सिफारिश की गई कि मुस्लिमों और हिंदुओं के व्यक्तिगत कानूनों को इससे बाहर रखा जाए।
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भारत विविधताओं से भरा देश है। यहां जाति और धर्म के आधार पर अलग-अलग कानून और मैरिज एक्ट हैं। इन अलग-अलग कानूनों और मैरिज एक्ट की वजह से सामाजिक ढांचा बिगाड़ा हुआ है। इसी कारण देश में लंबे समय से Uniform Civil Code की मांग होती रही है। Uniform Civil Code के तहत सभी जाति, धर्म, वर्ग और संप्रदायों को एक ही सिस्टम में लाए जाने का प्रस्ताव है। Uniform Civil Code की मांग का एक बड़ा कारण यह भी है कि अलग-अलग कानूनों की वजह से न्यायिक प्रणाली पर भी असर पड़ता है। मौजूदा समय में लोग शादी, तलाक जैसे कई मुद्दों के निपटारे के लिए पर्सनल लॉ बोर्ड के पास जाते हैं। यूसीसी का एक उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना और धार्मिक अल्पसंख्यकों सहित कमजोर वर्गों को सुरक्षा देना भी है। एक देश, एक कानून होगा तो इससे राष्ट्रवाद की भावना भी प्रबल होगी। Uniform Civil Code लागू होने से धार्मिक मान्यताओं जैसे शरीयत कानून, हिंदू कोड बिल और अन्य के आधार पर अलग-अलग कानूनों को सरल बनाने में भी मदद मिलेगी।
Uniform Civil Code पर डबल स्टैंडर्ड
pic.twitter.com/CPuSWA2zbc— Sushant Sinha (@SushantBSinha) June 28, 2023
Uniform Civil Code के लागून होने से हिंदू विवाह अधिनियम (1955), हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (1956) और मुस्लिम व्यक्तिगत कानून आवेदन अधिनियम (1937) जैसे धार्मिक आधार पर बने पर्सनल लॉ तकनीकी रूप से भंग हो जाएंगे।
Uniform Civil Code को लेकर विशेषज्ञों के विचार भी बंटे हुए नजर आते हैं। वह इस बात को लेकर एकमत नहीं हैं कि क्या राज्य के पास समान Uniform Civil Code लाने की शक्ति है भी या नहीं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि शादी, तलाक, विरासत और संपत्ति का अधिकार जैसे मुद्दे संविधान की समवर्ती सूचि में आते हैं, यह 52 विषयों की सूचि है और इन पर केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही कानून बना सकते हैं। राज्य सरकार के पास इसे लागू करने की शक्ति है. संविधान के अनुच्छेद 44 के अनुसार Uniform Civil Code भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों पर लागू होगा। इसका अर्थ यह निकाला जाता है कि अलग-अलग राज्यों के पास इसे लागू करने की शक्ति नहीं है, बल्कि शक्ति केंद्र के पास है. अगर Uniform Civil Code को लागू करने के लिए राज्यों को शक्ति दी जाती है तो इससे कई तरह के व्यावहारिक मुद्दे भी सामने आ सकते हैं। उदाहरण के लिए भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में Uniform Civil Code लागू होता है, लेकिन कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश में नहीं। ऐसे में दो लोग जिन्होंने उत्तर प्रदेश में शादी की थी, अगर वह हिमाचल चले जाते हैं तो वे किस कानून का पालन करेंगे? या उन पर कौन सा कानून लागू होगा?
ज्ञात हो कि Uniform Civil Code लंबे समय से भाजपा के एजेंडे में शामिल रहा है। पार्टी इस पर संसद में कानून बनाए जाने को लेकर जोर देती रही है। साल 2019 के पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने इसे अपने घोषणापत्र में भी शामिल किया था। बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने पिछले साल यानी शुक्रवार 9 दिसंबर 2022 को भारी हंगामे के बीच राज्यसभा में Uniform Civil Code विधेयक को पेश किया था। विपक्षी दलों ने इस विधेयक का जमकर विरोध किया और सदन में खूब हंगामा भी हुआ। इस विधेयक के पक्ष में 63 वोट पड़े, जबकि 23 वोट इसके विरोध में पड़े।
हिन्दू तन मय हिन्दू जीवन।
भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेई की पुण्यतिथि पर उनको शत-शत नमन#अटल_बिहारी_वाजपेयी pic.twitter.com/ojIedOlSiA— hemendra tripathi (B-) (@hemendratripat1) August 16, 2022
यूनिफॉर्म सिविल कोड UCC
एक सुनहरा मौका हम सबके लिए कम से कम देश में एक ऐसे कानून को बनाने में मदद करें जो हम सब दिल से बनवाना चाहते है। और दिन भर इसके बारे में लिखते रहते हैं..
आज धीरे धीरे लगभग 15 दिन हो गया और हम लोगों में से शायद ही किसी ने अभी तक सरकार को अपना सुझाव… pic.twitter.com/x3vS3yVzjB
— 𝐏𝐢𝐲𝐮𝐬𝐡 𝐒𝐢𝐧𝐠𝐡 (@iPiyushSingh) June 25, 2023
#UniformCivilCode (UCC) तथ्यों पर आधारित चर्चा – आप भी लीजिये हिस्सा, दीजिये अपनी राय।