चुनाव के साथ गर्मी का भी चढ़ा पारा
रायपुर।अप्रैल-मई के महीने में चुनाव होना हर किसी के लिए मुश्किल भरा होता है। नेताओं की मजबूरी होती है गली-गली घूमना भले ही वे पांच साल एसी में बैठते हों. मतदाताओं की मजबूरी होती है नेता का चयन करना वरना पांच साल तक उन्हे पछताना होगा.कर्मचारियों की मजबूरी होती है चुनाव की प्रक्रिया में शामिल रहना क्योंकि ड्यूटी का सवाल होता है और निर्वाचन आयोग की मजबूरी होती है चुनाव संपन्न कराना क्योकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया से होने वाले चुनाव में उनकी भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। अभी तो पारा 40 पार हुआ है लेकिन मतदान की तारीख अलग-अलग चरणों मेें 18 से 23 अप्रैल आते-आते यह 44 डिग्री के आसपास पहुंच जायेगा तब कितनी फीसदी मतदान संभव हो पायेगा प्रत्याशियों के भाग्य तय करेंगे। बहरहाल गर्मी में चुनाव प्रचार करना काफी मुश्किल हो रहा है इसलिए सुबह व शाम के सत्र में अधिकाधिक प्रचार किये जा रहे हैं।