वन कानून में प्रस्तावित संशोधनों को खारिज करने की मांग

वन कानून में प्रस्तावित संशोधनों को खारिज करने की मांग

रायपुर। छत्तीसगढ़ किसान सभा ने केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा भारतीय वन अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों का विरोध करते हुए कहा कि इससे भाजपा सरकार का आदिवासीविरोधी और कॉर्पोरेट परस्त चरित्र खुलकर सामने आ गया है. छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार से इस वन कानून संशोधन को खारिज करने की मांग की है.

जारी एक बयान में छग किसान सभा के महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि यदि इन संशोधनों को स्वीकार कर लिया जाता है, तो इससे आदिवासी वनाधिकार कानून और पेसा कानून पूरी तरह से निष्प्रभावी हो जायेंगे, क्योंकि प्रस्तावित संशोधन वन अधिकारियों को वन क्षेत्र में रहने वाले लोगों के अधिकारों को प्रतिबंधित करने व उन्हें प्रताडि़त करने, उनकी सहमति के बिना उन्हें विस्थापित करने और कॉर्पोरेट कंपनियों को वन क्षेत्रों को सौंपने के असीमित अधिकार देते हैं. इन प्रस्तावित संशोधनों की कई धाराएं जैसे 22 ए (सी), 26 (3), 29 (3), 30 (बी), 34 (सी), 66 (2) आदि सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) कानून जैसे ही हैं. इससे स्पष्ट हैं कि यह सरकार वनों में निवासरत 10 करोड़ आदिवासियों के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर रही है.किसान सभा नेता ने कहा है कि इन संशोधनों पर राज्य सरकारों की राय मांगी गई है और कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार को बिना देरी किए इन्हें ख़ारिज कर देना चाहिए. किसान सभा ने प्रस्तावित संशोधनों के समय पर भी आपत्ति उठाई है।

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