भोपाल। मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा कल बुधवार को उस वक्त बाढ़ में फंस गए, जब वह अपने गृह जिले दतिया में बाढ़ प्रभावित इलाके के एक गांव में फंसे लोगों को बचाने के लिए एनडीआरएफ (NDRF) की टीम के साथ एक नाव से पहुंचे थे, लेकिन बोट में अचानक तकनीकी खराबी आने से वह वहीं फंस गए। इसके बाद एयरफोर्स से मदद मांगी गई, जिस पर वायुसेना ने एक हेलिकॉप्टर भेजा, तब कहीं जाकर बाढ़ में फंसे गृह मंत्री को निकाला (airlift) गया।
सबसे खास बात ये है कि गृह मंत्री मिश्रा ने वायुसेना के हेलीकॉप्टर के आने पर पहले 9 लोगों को वहां से निकलवाया और उसके बाद स्वयं भी कोटरा में पानी से घिरे मकान की छत से हेलीकॉप्टर में सुरक्षित सवार हुए। कोटरा गांव पूरी तरह से पानी से घिरा हुआ था और करीब एक मंजिल तक घरों में पानी भरा हुआ था, जिसके चलते लोग छतों पर थे।
मध्य प्रदेश के दतिया जिले के कोटरा गांव में बुधवार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने छोटे नाव से पहुंचे प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के बोट में एक पेड़ के गिर जाने से इसमें खराबी आ गई, जिसके बाद उन्हें एवं अन्य 9 लागों को वायुसेना की मदद से बचाया गया।
मप्र के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा @drnarottammisra बाढ़ में फंसे। एयरफोर्स के चॉपर ने उन्हें रेस्क्यू किया #FloodRelief #MadhyaPradesh @IAF_MCC pic.twitter.com/LDn0NPw53E
— Upmita Vajpai (@upmita) August 4, 2021
एक अधिकारी ने बताया कि मिश्रा बुधवार को दतिया जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने के लिए पहुंचे थे। उनके अनुसार सुबह साढ़े 10 बजे दतिया के कोटरा गांव में एक मकान की छत पर लोगों के फंसे होने की जानकारी मिलने पर गृह मंत्री उनको बचाने के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीम के साथ नाव से पहुंचे थे।
अधिकारी ने कहा कि बचाव के दौरान अचानक एक पेड़ नाव के ऊपर गिर गया, जिससे उसमें कुछ तकनीकी खराबी आ गई और वह वहीं पर फंस गया। अधिकारी ने बताया कि इसके बाद मिश्रा ने संबंधित अधिकारी को संदेश भेजा, जिस पर उनकी एवं बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए वायुसेना के एक हेलीकॉप्टर की सेवा उपलब्ध करवाई गई।
अधिकारी ने कहा, ”मिश्रा ने वायुसेना के हेलीकॉप्टर के आने पर पहले नौ लोगों को वहां से निकलवाया और उसके बाद स्वयं भी कोटरा में पानी से घिरे मकान की छत से हेलीकॉप्टर में सुरक्षित सवार हुए।” कोटरा गांव पूरी तरह से पानी से घिरा हुआ था और करीब एक मंजिल तक घरों में पानी भरा हुआ था, जिसके चलते लोग छतों पर थे।