नई दिल्ली। जिस तरह से केरल में लगातार कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं बावजूद इसके बकरीद के लिए तीन दिन तक कोरोना प्रतिबंधों में ढिलाई देने का केरल सरकार ने फैसला लिया उसपर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है। केरल सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए कहा कि डी कैटेगरी के इलाकों में एक दिन की छूट का फैसला बिल्कुल भी सही नहीं था। ऐसे हालात में हम केरल सरकार को निर्देश देते हैं कि वह संविधान के अनुच्छेद 21 और 141 का पालन करे और उत्तर प्रदेश के मामले में हमने जो निर्देश दिया है उसका पालन करे। भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकार में किसी भी तरह के प्रेशर ग्रुप फिर चाहे वो धार्मिक हो या किसी भी तरह के वह दबाव नहीं डाल सकते हैं।
जस्टिस नरीमन की अगुवाई वाली बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी धार्मिक या अन्य संस्था को देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है। बता दें कि केरल सरकार ने 19 जुलाई को कोरोना प्रतिबंधों में ढील देने की बात कही थी, लिहाजा सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दायर प्रार्थना को स्वीकार नहीं किया कि 19 जुलाई को दी गई छूट को रद्द कर दिया जाए। लेकिन कोर्ट ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार की इस नीति के चलते अगर किसी भी जगह किसी भी तरह का संक्रमण फैला हो तो कोई भी इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दे सकता है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि अगर कोई भी सरकार की इस नीति के चलते कोरोना से संक्रमित होता है और इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी जाती है तो कोर्ट इस मामले में उचित कार्रवाई करेगी। कोर्ट ने कहा कि जहां पर डी श्रेणी का संक्रमण है यानि जहां पर 15 फीसदी से अधिक संक्रमण दर है वहां एक दिन की छूट दी गई, यह काफी चौंकाने वाली और चिंता की बात है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस आरएफ नरीमन और बीआर गवई शामिल थे, जिन्होंने सोमवार को केरल सरकार से इस मामले में अपना जवाब दायर करने को कहा था। कोर्ट ने 20 जुलाई तक अपना जवाब दायर करने को कहा था।