सत्य ही नारायण है – शंभूशरण

सत्य ही नारायण है – शंभूशरण

रायपुर। श्रीरामकथा उस कुल की कथा है जिसमें वचन की सत्यता पर अडिग रहते हुए पिता एक बेटे को वनवास और दूसरे को राजा बनाने के लिए तैयार हो जाते हैं और बेटा पिता की आज्ञा का पालन कर चौदह वर्ष वनवास स्वीकार लेते हैं। सत्य जितनी हमारी रक्षा करता है उतना कोई और नहीं। हम अपने दुख का कारण सत्य को मानते हैं लेकिन यह गलत है, दुख का कारण तो हमारा प्रारब्ध है। सत्य पर अडिग रहो शक्ति देगा परमात्मा फिर हिम्मत क्यों हार जाते हो? सत्य ही तो नारायण है।

निमोरा में आयोजित श्रीरामकथा में संत शंभूशरण लाटा महाराज ने कहा कि सत्य के साथ चलो दुनिया आपको रास्ता देगी। क्या पर्वत को कोई हटा पाया है, नदियां अपना रास्ता खुद बना लेती हैं। रात है तो सुबह जरूर होगी। न संपत्ति न परिवार यदि कोई आपकी रक्षा करेगा तो वह है सत्य। सत्य परेशान जरूर हो सकता है पर पराजित नहीं। अभ्यास करके तो देखो। सत्य आग में भी नहीं जलता है। कल किसने देखा है जो करना है सो आज ही करो। मंद बुद्धि वालों की विडंबना है कि दूसरों का भला सुने तो दुख होता है। कुसंग की संगत पाकर किसी का भी नाश हो जाता है। इसीलिए कहते हैं सत्संग करो।

छोटी बातों को बड़ा न बनाओ

संत श्री ने कहा कि छोटी-छोटी बातों पर अब घरों में हो रहे झगड़े विनाश का कारण बन रहे हैं। छोटी बातों को छोटा मानकर छोड़ न दें विकल्प निकालने का प्रयास करें। लोग अपने हित को ही अपना भला समझने लगे हैं। आज मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी है कि वह कभी संतुष्ट हो ही नहीं पाया है। उसके पास जितना है उससे अधिक सुख चाहता है। जीव को उस परमात्मा का कृतज्ञ होना चाहिए जिसने उसे दिया।

संतान हो तो राम जैसा

संतान हो तो राम जैसा, लेकिन आज कहां संभव है। वह राम जो कि पिता का आदेश का पालन करने राजकाज छोड़कर चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार लिया। वेदों में बताया गया है संतान भी चार प्रकार के होते हैं एक पोषक-जो भोजन देता है,दूसरा कोषक – जो बुरे से बुरा व्यवहार करता है, तीन शोषक-जो धन के लिए माता पिता का शोषण करता है और चौथा संतोष-जो संतोष देता है। लेकिन आज कलयुग में संतोष देने वाले बेटे कहां?

00 दुख का कारण सत्य नहीं हमारा प्रारब्ध है

संबंधित समाचार

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.