नई दिल्ली। वरिष्ठ भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को कहा कि ऑस्टेलिया की तर्ज पर भारत में भी ऐसा कानून बनाया जाना चाहिए ताकि फेसबुक और गूगल जैसे बड़े कंपनियों को विज्ञापन से मिलने वाले राजस्व का हिस्सा खबरों के विषय वस्तु प्रदाता स्थानीय प्रकाशकों को मिल सके। राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने पारम्परिक प्रिंट मीडिया और टेलीविजन चैनलों की आर्थिक स्थिति का मामला उठाते हुए कहा कि यह क्षेत्र अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं भारत सरकार से आग्रह करता हूं कि ऑस्ट्रेलिया के समान भारत में कानून बनाया जाए ताकि गूगल आदि को विज्ञापन के राजस्व हिस्से के लिए बाध्य किया जा सके और भारत के प्रिंट और न्यूज़ टीवी चैनल को आर्थिक संकट से उबारा जा सके।’’
PRESS RELEASE
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कानून बना कर गूगल,यूट्यूब,फेसबुक को परम्परागत मीडिया
से विज्ञापन राजस्व शेयर करने के लिए बाध्य किया जाए* सुशील मोदी ने राज्यसभा में शून्यकाल में उठाया मुद्दा pic.twitter.com/rSp2c7Mtdy
— Sushil Kumar Modi (मोदी का परिवार ) (@SushilModi) March 17, 2021
1/1. हमारे देश का प्रिंट मीडिया/ न्यूज TV चैनल समाचार संकलन करने से लेकर तथ्यपरक सच्चाई के लिए एक बड़े संस्थागत स्वरूप में विविध विधा के कर्मियों के साथ अरबों रुपये खर्च कर हमें समाचार प्रदान करता है। इनकी आमदनी का मुख्य स्रोत विज्ञापन है।
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मोदी ने कहा कि देश का प्रिंट मीडिया और न्यूज़ चैनल भारी संकट के दौर से गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हाल के वर्षों में यूट्यूब, फेसबुक, गूगल के आने के बाद विज्ञापन का बड़ा हिस्सा इन टेक जाइंट्स के पास चला जाता है। बिना खर्च किए ये दूसरे के बनाए न्यूज कंटेंट को अपने प्लेटफार्म पर दिखला कर पैसा कमा रहे हैं और परंपरागत मीडिया विज्ञापन की आय से वंचित हो रहा है।’’ भाजपा सदस्य ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में जब पारंपरिक मीडिया के साथ ‘‘राजस्व बंटवारे’’ के लिए कानून बनाने की बात आई तो गूगल में सात दिनों तक समाचार सामग्री को रोक दिया। उन्होंने कहा, ‘‘अंतत: ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने न्यूज़ मीडिया सौदा संहिता कानून बनाया और गूगल को राजस्व बंटवारे के लिए बाध्य कर दिया।’’ उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया की तर्ज पर अनेक देशों में कानून बनाने की पहल हुई है।
2/1. यूट्यूब, फेसबुक, गूगल परंपरागत मीडिया द्वारा तैयार कंटेंट को अपने प्लेटफॉर्म पर प्रसारित कर विज्ञापन के माध्यम से पैसा कमा रहे हैं, जिससे मूल कंटेंट निर्माता परंपरागत मीडिया विज्ञापन की आय से वंचित हो रहे हैं।
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3/1. भारत सरकार से आग्रह है कि ऑस्ट्रेलिया सरकार की तरह "News Media Bargaining Code" के समान कानून बनाकर गूगल आदि OTT प्लेटफॉर्म को विज्ञापन रेवेन्यू शेयरिंग के लिए बाध्य करें, जिससे देश का प्रिंट/ न्यूज TV चैनल को आर्थिक संकट से उबारा जा सके।
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