कार्यशाला में दी गई तकनीकी पहलुओं पर जानकारी
जांजगीर-चांपा। छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी नरवा, गरूवा, घुरूवा अउ बारी विषय पर बुधवार को एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन जिला पंचायत सभाकक्ष में किया गया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री अजीत वसंत ने कहा कि छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी नरवा, गरूवा, घुरवा अउ बारी योजना का विकास सभी विभाग मिलकर आपसी समन्वय और तकनीकी मार्गदर्शन से बेहतर कर सकते हैं, और इस कार्य में ग्रामीणों की सहभागिता प्राथमिकता के साथ होना जरूरी है।
सीईओ श्री वसंत ने कहा कि नरवा, गरूवा, घुरूवा अउ बाड़ी योजना के क्रियान्वयन को लेकर कलेक्टर श्री नीरज बनसोड़ द्वारा संबंधित विभागों की लगातार बैठकें ले रहे हैं। उनके मार्गनिर्देशन में राज्य सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट को क्रियान्वित किया जा रहा है। उनके द्वारा गांव में बनाए जा रहे गोठान निर्माण की सतत मानीटरिंग की जा रही है। इसलिए गोठान निर्माण के दौरान तकनीकी सहायक लगातार कार्यस्थल पर जाकर निरीक्षण करते रहें, किसी तरह की अगर कोई समस्या आती है तो जिला स्तर पर अवगत कराएं। उन्होंने कार्यशाला में कहा कि नरवा का मुख्य उद्देश्य गांव में मौजूद जल संसाधनों का बेहतर तरीके से प्रबंधन करना और ग्रामीणों के जीवन को खुशहल बनाना है। नरवा संरचनाओं का निर्माण इस दृष्टिकोण से किया जाए कि जलस्रोतों का बहाव गर्मी के दिनों तक उपलब्ध रहे। गरूवा के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि गांव में पशु प्राय: खुले में घूमते रहते हैं, जिससे फसलों को बहुत नुकसान होता है। इसलिए पशुओं को एक छत के नीचे बेहतर स्थिति में रखने के लिए गौठान का निर्माण किया जा रहा है। जिले में 132 गौठान निर्माण की स्वीकृति दी गई है। गौठान निर्माण करते समय यह ध्यान रखें कि जिस जगह का चयन किया जा रहा है, उस स्थल में बरसाती पानी का भराव न होता हो और आसपास छायादार वृक्ष लगे हुए हों। घुरूवा के बारे में उन्होंने बताया कि जैविक खाद को बढ़ावा देना ही इस योजना का प्रमुख उद्देश्य है। बारी के संबंध में उन्होंने कहा कि ग्रामीण कृषकों द्वारा साग-सब्जी,फल इत्यादि का उत्पादन किया जाता है। ऐसे किसानों की बारी को बेहतर तरीके से प्रबंधन किया जाए तो उनको अतिरिक्त आय होगी। मनरेगा प्रभारी अधिकारी श्री ओमप्रकाश देवांगन ने पीपीटी प्रजेंटेशन के माध्यम से नरवा, गरूवा, घुरूवा अउ बारी के बारे में बताया। कृषि विभाग सहायक संचालक श्रीमती नीलम आजाद, उद्यान विभाग श्री एच.एन.दिवाकर, आरईएस ईई श्री एन.एस. सिदार, एसडीओ श्री दामोदर सिंह, पशुपालन विभाग श्री राहुल राठौर ने गांव में उपलब्ध संसाधन नरवा (नदी-नाला) गरूवा (पशुधन), घुरूवा (जैविक खाद,बायो कम्पोस्ट) एवं बारी (घर के बाड़ी में साग-सब्जी एवं फल) के समन्वित विकास से कृषि उत्पादन एवं किसानों की आमदनी, ग्रामीणों के आर्थिक विकास को किस तरह से बढ़ाया जा सकता इसके बारे में बताया। इस अवसर पर सभी कृषि विभाग, ग्रामीण यात्रिकी विभाग, पशुपालन विभाग, उद्यानिकी विभाग के अधिकारी सहित जनपद पंचायत के मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी, तकनीकी सहायक मौजूद रहे।