समूह खेल है भिर्री, पौराणिक मान्यता जुड़ी
राजिम। पारंपरिक खेलों के अंतर्गत भिर्री खेल को लेकर लोगों में उत्सुकता थी। इस खेल को लेकर बताया गया कि भिर्री खेल समूह में खेला जाता है इस खेल को महिला व पुरुष दोनों ही खेल सकते हैं।। इस खेल को लूटपाती खेल भी कहा जाता है। इस खेल का पौराणिक महत्व भी है। इस खेल के संबंध में बताया गया कि महाभारत काल में अभिमन्यु जब चक्रव्यूह तोडऩे गए और उससे जब बाहर नहीं आ पाये, उसी से प्रेरित होकर इस खेल भिर्री को अपनाया गया, इस खेल में खिलाडिय़ों की संख्या के आधार पर डिब्बे बने होते है और उस डिब्बे में कुछ सामग्री रखी होती है, इसमें प्रतिभागी एक-दूसरे को छकाते हुए उसे लेकर अपने स्थान पर आते है। लोक खेल एसोसिएशन चंद्रशेखर चकोर ने जानकारी दी कि इस मंच पर प्रतिदिन छत्तीसगढ़ के दस जिलों से प्रतिभागी हिस्सा ले रहे है, और पारंपरिक खेलों को जीवंत करते हुए प्रतिदिन विभिन्न खेल जिसमें गोंटा, फल्ली, बांटी, भौंरा, गिल्ली डंडा, बिल्लस, लंगड़ची, गेंड़ी, फुगड़ी आदि का प्रदर्शन करते है। आस-पास आये हुए प्रतिभागी इस आयोजन के लिए पर्यटन व धर्मस्व मंत्री ताम्रध्वज साहू के प्रति कृतज्ञता प्रकट कर रहे हैं।