नृत्य करने पहुंचे 70 वर्षीय वृद्ध सुखराम
राजिम। आयोजन के पांचवे दिन शनिवार को राउत नाचा की प्रस्तुति देने देवरी से दयालू राम यादव की टीम पहुंची। इनकी टीम के साथ 70 वर्षीय वृद्ध सुखराम भी पहुंचे। वहीं तिरियाभाट बेमेतरा से 8 से 15 वर्ष के बच्चों की टोली भी पहुंची। जिसमें से एक बच्चे के पिता ने बताया कि वह लगातार 20 वर्षों से राउत नाचा की प्रस्तुति दे रहे हैं तब उनकी उम्र उनके बच्चे के समान थी। उन्होंने अपनी राउत नाचा की टीम में नन्हे बच्चों को साथ रखने लेकर बताया कि आज के बच्चे छत्तीसगढ़ की संस्कृति से रूबरू हो और यादव समाज की परंपरा को बनाये रखने बच्चों को आगे रखा जा रहा है।
राउत नाचा ग्वालों के लिए विशेष व महत्वपूर्ण है। जैसे ग्वाले दिपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर अपनी सामाजिक वेषभूषा में तैयार होते हैं ठीक उसी तरह ग्वाले धोती, कुरता, खुमरी, कलगी, कौड़ी, घूंघरू के साथ फुलेता (डंडा) के साथ तैयार दिखे और पारंपरिक गुदुम बाजे के साथ प्रस्तुति दी। सभी टीमों ने अपने कार्यक्रम की समाप्ति बिदाई दोहे के साथ की। शनिवार को राजिम माघी पुन्नी मेले में मंच पर पुरनलाल यादव (राजिम), दयालुराम यादव (देवरी), गुलामराम यादव (साजापाली), संतु यादव (गोगांव रायपुर), हरिशंकर यादव (डूमरपाली), तोरण यादव (नवांगाव लखना), विद्यासागर यादव (मोहन्दा), कृष्ण लीला यादव (सेमरा), सचिन निषाद (राजनांदगांव), मधुप्रसाद साहू (मुंगेली), केशव यादव (मगरलोड), पूनाराम यादव (कन्हेरा), संतोष यादव (बलौदाबाजार), रवि यादव (धमतरी), प्रमोद यादव (गुमा), रोहित यादव (मानिकचैरी) व उनकी टीम ने प्रस्तुति दी।