श्रीनगर। रोशनी भूमि योजना में कथित घोटाले की जांच जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय द्वारा CBI को सौंपे जाने के तीन सप्ताह बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शनिवार को कहा कि वह इस योजना के तहत की गई सभी कार्रवाई को रद्द करेगा और छह महीने में सारी जमीन पुन: प्राप्त करेगा।
VIDEO: #Article370 को रखने या हटाने का मूल अधिकार भारतीय सांसद एवं राष्ट्रपती को है, ना के कश्मीर घाटी के दो-एक वंश वादी राजनीतिज्ञों को। pic.twitter.com/GbS5c7CwTo
— Dr Jitendra Singh (मोदी का परिवार) (@DrJitendraSingh) October 24, 2020
मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की खंडपीठ ने नौ अक्टूबर को योजना में कथित अनियमित्ताओं को लेकर CBI जांच का आदेश दिया था और एजेंसी को हर आठ सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट दायर करने का निर्देश भी दिया था।
जम्मू-कश्मीरः रोशनी एक्ट में बांटी गई लाखों कनाल जमीन का आवंटन रद्द।#रोशनी_एक्ट के जरिए सरकार के जमीन पर कम दाम में मुसलमानों को #हिंदू बहुल इलाकों में #जमीन_जिहाद के अंतर्गत बसाया गया था
बधाई हो हिन्दुओ,,धारा 370 हटते हिन्दुओ का अधिकार मिलने लगा।#जमीन_जिहाद#IndiaWithFrance pic.twitter.com/qXL0XGkMdR
— Thakur Ashutosh singh (@Real18ashutosh) November 1, 2020
एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा, ”जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने उच्च न्यायालय का आदेश लागू करने का निर्णय लिया है जिसमें अदालत ने समय-समय पर संशोधित किए गए जम्मू एवं कश्मीर राज्य भूमि (कब्जाधारी के लिए स्वामित्व का अधिकार) कानून, 2001 को असंवैधानिक, कानून के विपरीत और अस्थिर करार दिया था।”
माना जाता है कि रोशनी योजना के नाम से पहचाना जाने वाला यह कानून एक क्रांतिकारी कदम था और इसका दोहरा उद्देश्य था। इसमें बिजली परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए संसाधन जुटाना और राज्य की भूमि पर कब्जा करने वालों के लिए मालिकाना हक प्रदान करना शामिल था।