छत्तीसगढ़ में सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए बनेगा विशेष सेल : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

छत्तीसगढ़ में सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए बनेगा विशेष सेल : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

रायपुर। राज्य योजना आयोग के अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज राजधानी रायपुर में पांचवीं विधानसभा में प्रथम बार निर्वाचित हुए विधायकों के लिए ’सतत विकास लक्ष्यों पर संवेदीकरण एवं उन्मुखीकरण’ कार्यशाला का दीप प्रज्जवलन कर शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन लक्ष्यों का उद्देश्य जनकल्याण है। विकास के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन पर भी ध्यान देने की जरूरत है। राज्य में सतत विकास हेतु निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ (सेल) का गठन किया जाएगा, जो कार्यक्रमों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के साथ ही इन कार्यों की निगरानी भी करेगा।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि मानव कल्याण के लिए जन घोषणा पत्र में 36 बिन्दु शामिल हैं, जिनकों प्राप्त करने के लिए शासन द्वारा कार्य योजना बनाकर कार्य किया जा रहा है। इन बिन्दुओं में मानव जीवन, कृषि, पशुपालन, जल संरक्षण एवं संवर्धन, स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, युवा एवं रोजगार आदि महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी- नरवा, गरूवा, घुरवा और बारी पर ध्यान देने के लिए कार्य योजना बनाई है। इस कार्य को संबंधित विभाग मिलकर पूरा करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जहां भूमिगत जल बहाव के चित्र सेटेलाइट के माध्यम से लिए गए हैं। सतही जल को रोकने के लिए वैज्ञानिक तरीके से कार्य करना है। ज्यादा से ज्यादा वाटर रिचार्जिंग हो, भूमिक्षरण रोका जा सके, इस दिशा में कार्य किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि एवं पशुपालन को आर्थिक रूप से लाभकारी बनाने के लिए मवेशियों के लिए चारा की व्यवस्था और गौठान की सुरक्षा का कार्य किया जाएगा। गरूवा अर्थात गाय जो दूध देने का काम करती है, उसे फिर से किसानों की आर्थिक ताकत बनाने के लिए प्रदेश की 20 हजार से अधिक पंचायतों में गौठान का चिन्हांकन और चारागाह की सुरक्षा के लिए स्थान चिन्हांकित करने की कार्रवाई शुरू हो गई है। इस कार्य से किसानों को आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी। गोबर गैस प्लांट से मात्र 300 से 400 रूपए में भोजन पकाने की व्यवस्था होगी और कम्पोस्ट खाद के उपयोग से रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होगी। भूमिक्षरण को रोकने जल संरक्षण का कार्य किया जाएगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव ने कहा कि योजना विभाग जो कार्य योजना बनाता है, उसमें सभी का व्यापक हित सम्मिलित होता है। सतत विकास लक्ष्य की प्राप्ति के लिए राज्य के संसाधनों का संतुलित उपयोग हो और इसका प्रभावी असर लम्बे समय तक रहे। यह कार्यशाला लक्ष्यों के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्रारंभिक पहल है। लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु सभी के सहयोग से नियोजित रूप से कार्य करते हुए बेहतर परिणाम प्राप्त करने का प्रयास किया जाएगा।

योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री सी.के. खेतान ने अपने उद्बोधन में कहा कि सतत विकास वैश्विक अवधारणा है। सतत विकास लक्ष्य और ‘जन-घोषणा पत्र’ में शामिल बिन्दुओं में अनेक समानताएं है। सतत विकास लक्ष्य कुछ सीमा तक ‘अंतर्पीढि़य समता’ अर्थात ‘इंटरजनरेशन इक्विटी’ के सिद्धांत पर आधारित है। इसका उद्देश्य है कि मानव कल्याण कार्य में कोई भी व्यक्ति विकास की धारा में ना छूटे। जन घोषणा पत्र में इन लक्ष्यों के निर्धारण में व्यक्ति की जन आकांक्षाओं को जनता से चर्चा करके तैयार किया गया है। इसके साथ ही पृथ्वी एवं पर्यावरण सुरक्षा के लिए ‘नरवा, गरूवा, घुरूवा और बारी’ की योजना का क्रियान्वयन और शांति स्थापित करने की दिशा में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कारगर कदम उठाए जा रहे हैं। आर्थिक समृद्धि हेतु सभी का आर्थिक रूप से विकास हो तथा समुदाय के उन्नयन और विकास में सभी की सहभागिता हो, यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार श्री राजेश तिवारी, मुख्य कार्यपालन अधिकारी ऑक्सफेम इंडिया श्री अमिताभ बेहार, यूनिसेफ छत्तीसगढ़ के योजना, अनुश्रवण एवं मूल्यांकन विशेषज्ञ डॉ. के.डी. मैटी सहित नवनिर्वाचित विधायक और संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

* मुख्यमंत्री शामिल हुए सतत विकास लक्ष्यों पर संवेदीकरण एवं उन्मुखीकरण कार्यशाला में

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