नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगी – सिंहदेव

नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगी – सिंहदेव

अम्बिकापुर। छत्तीसगढ़ शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी, बीस सूत्रीय वाणिज्यिकर जीएसटी मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेवने कहा है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ ही साथ ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ने के लिए राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने में मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने कहा कि इस योजना के क्रियान्वयन के लिए समयबद्ध कार्य-योजना तैयार कर मवेशियों के लिए गोठान बनाने के साथ ही साथ बायोगैस सयंत्र स्थापना हेतु उपयुक्त स्थल का चयन करें, ताकि ग्रामीणों को आसानी से लाभ पहुंचाई जा सके। श्री सिंहदेव ने यह निर्देश आज यहां जिला पंचायत कार्यालय के सभाकक्ष में आयोजित संभागीय समीक्षा बैठक सह कार्यशाला में अधिकारियों को दिए।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री सिंहदेव ने कहा कि सरकार की मंशा है कि वह जन घोषणा पत्र में किए गए बिन्दुओं का क्रमिक रूप से क्रियान्वयन हो, ताकि शासन एवं प्रशासन के मध्य सतत् संपर्क बना रहे और विकास की गति की रफ्तार भी बढ़ती रहे। श्री सिंहदेव ने कहा कि योजनाओं के क्रियान्वयन में किसी भी प्रकार की समस्या आती है, तो अधिकारी बेझिझक बात कर सकते हैं। शासन और प्रशासन के बीच में संवाद का खुलापन होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन में अधिकारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सुझावों को भी महत्व दें तथा उनके सुझावों को शामिल करते हुए विकास कार्य को आगे बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के नए-नए आयाम सृजन करने में लोक धन को ध्यान में रखते हुए उसका सदुपयोग करें।

सिंहदेव ने वनाधिकार पत्र के संबंध में समीक्षा करते हुए कहा कि 13 दिसम्बर 2005 के पूर्व वन भूमि पर अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोागें द्वारा एक दिन के लिए भी काबिज हों तब भी वे वनाधिकार पत्र के लिए पात्र होंगे। उन्होंने बताया कि वनाधिकार पत्र के तहत अधिकतम 10 एकड़ जमीन आबंटित की जा सकती है। इसी प्रकार गैर अनुसूचित जाति के लोगों के लिए तीन पीढ़ी तक वन भूमि पर काबिज होना जरूरी है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार करने के लिए गांव में ज्यादा ढ़लान वाले नालों में पक्के बांध बनाने के बजाए पत्थर से बांध बनाकर पानी को रोकें, ताकि कुछ मात्रा में पानी नीचे की ओर निकलती रहे और ऊपर पानी का संचय भी हो। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के बांध से पानी को पूरी तरह नहीं रोका जाता है, जिससे नाले के बहाव का दबाव पूरी तरह से बांध पर नहीं पड़ता है और वह नहीं टूटता है।

स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना के तहत चिन्हांकित किए जाने वाले जमीन विवादमुक्त होने चाहिए। उन्होंने कहा कि नदी-नालों के आस-पास के जमीनों का चिन्हांकन करते समय वनाधिकार पत्र के तहत आबंटित जमीन का भी ध्यान रखें, ताकि किसी के अधिकारों का हनन न हो सके। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री आर.पी. मण्डल ने कहा कि नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना के तहत गोठान के लिए उपयुक्त भूमि का चयन करें तथा गोठान के चारो ओर काऊ प्रोटेक्शन टेऊन्च, चेनलिंक फेन्सिंग, शेड् निर्माण एवं टैंक निर्माण हेतु 28 फरवरी तक कार्य स्वीकृत करें। उन्होंने कहा कि योजना के सुचारू क्रियान्वयन तथा ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ने के लिए स्व सहायता समूहों को सक्रिय करें। उन्होंने कहा कि जिस गांव का चयन नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना के लिए किया जा रहा है वहां रबी फसल का रकबा बढ़ाएं। श्री मण्डल ने कहा कि इस योजना से अधिक से अधिक लोगों को रोजगार दिलाने का ध्येय हो। इसके साथ ही गोठान से निकलने वाले गोबर को आर्गेनिक खाद के रूप में उपयोग कर आर्गेनिक सब्जियों की खेती के लिए किसानों को प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि आर्गेनिक सब्जियों की बाजार मूल्य अधिक है, जिससे किसानों को अच्छी आमदनी प्राप्त हो सकेगी।

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