भौतिक व आध्यात्मिक जीवन में समन्वय जरूरी

भौतिक व आध्यात्मिक जीवन में समन्वय जरूरी

रायपुर। जीवन में खुशहाल रहने के लिए भौतिकता के साथ आध्यात्म का समन्वय बहुत जरूरी है। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में इंसान अपनी सेहत के लिए समय नहीं दे पाता है ऐसे में तमाम तरह की बीमारियां उन्हें घेर लेती है। पैसा कमाना अच्छी बात है लेकिन उसका सदुपयोग होना चाहिए। जीवन शैली को नियंत्रित व तनावमुक्त रखने के लिए हार्टफुलनेस का ध्यान शिविर सबसे बेहतर उपाय है। आत्मा को परमात्मा से जोड़ने और अपनी शक्ति को जगाने के लिए जरूरी है जीवन में ध्यान को अपनाना।

हार्टफुलनेस के संस्थापक वैश्विक मार्गदर्शक व श्री रामचंद्र मिशन के अध्यक्ष कमलेश डी. पटेल ने कहा कि ध्यान कैसे करें इस बारे में किताबों में भी कुछ नहीं लिखा है। कीड़ों ने हजारों किताबें खा ली लेकिन उन्हें इस ज्ञान का कोई प्रमाण पत्र नहीं मिला। ऐसा होता है किताबी कीड़ा, चाहे जितना भी ज्ञान हासिल कर ले लेकिन उसे ज्ञानी नहीं बना सकता। अगर अकेली शिक्षा ही काफी होती तो अभी तक हम बदल चुके होते। भगवद गीता में भी श्रीकृष्ण ने जब अर्जुन को विराट दर्शन करवाया तब अर्जुन ने पूछा कहां और कैसे, श्रीकृष्ण का जवाब था, ध्यान करो।

पटेल ने बताया कि बच्चे मां-बाप से अक्सर ये सवाल पूछते हैं कि ईश्वर कहां है मानते हो तो उसे प्रमाणित करो। मां -बाप बच्चों को जवाब देेते हैं कि आत्मिक रूप से उसे अनुभव करो। आत्मिक अनुभव के प्रयोगकर्ता भी तुम हो, परिणाम भी तुम हो और सम्पूर्ण प्रयोगशाला तुम्हारे अंदर है। बिना अनुभव के ध्यान करना वैसा ही है जैसे पानी में किले बनाना। उन्होंने कहा कि शरीर के संचालन के लिए पंचतत्व की जरूरत होती है। जबकि आत्मिक विकास के लिए ध्यान करना जरूरी है। कई बार ऐसा होता है कि जब व्यक्ति यह निर्णय नहीं कर पाता की वह दिमाग की सुने या दिल की, दिल अक्सर गलत काम करने के लिए हमें रोकता है। लाखों बार दिल की आवाज सुनने के बावजूद भी जो दिमाग की आवाज सुनकर गलत करता है, वह पत्थर दिल मानव पशु से भी गिरा हुआ है। भौतिक एवं आध्यात्मिक जीवन में समन्वय जरूरी है। आध्यात्म की कोई सीमा नहीं होती। बच्चों का भौतिक स्वरूप मां बाप की कद काठी पर अनुवांशिकी से प्राप्त होता है। मानसिक स्वतंत्रता कार्य करने की अलग-अलग मनुष्य में होती है। स्प्रीचुअल पॉवर भौतिकता से अंतर संबंधित है। आजकल देखा जा रहा है कि लोग पैसों के पीछे भाग रहे हैं, पैसा कमाओं अच्छी बात है लेकिन उसका सदुपयोग हो। उन्होंने कहा कि आज के तनावयुक्त जीवन में ध्यान ही एक मात्र सहारा है। जो मनुष्य को निराशा से आशा की ओर ले जाता है।

युवा लक्ष्य से न भटकें-

नया रायपुर स्थित एक कालेज में अपने प्रबोधन के दौरान कमलेश पटेल ने कहा कि युवा कितने भी तनाव में क्यों न हो अपने लक्ष्य से न भटकें। किसी प्रकार की नकारात्मकता से आप न घिरें इसलिए ध्यान जरूरी है। उन्होंने बताया कि सेल्फ डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत 3000 से भी अधिक स्कूल कालेजों में युवा पीढ़ी को जागरूक करने के लिए अभियान चला रहे हैं।

आज से तीन दिन का ध्यान शिविर-

इंडोर स्टेडियम बूढ़ापारा में हार्टफुलनेस का ध्यान शिविर 16 से 18 जनवरी तक सुबह 11 से दोपहर 12.30 तक आयोजित है जिसमें हिस्सा लेने के लिए देश भर से लोग पहुंचे हुए हैं।

00 निर्णय की स्थिति में दिमाग की नहीं दिल की सुने

00 वैश्विक मार्गदर्शक कमलेश डी. पटेल ने कहा

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