कोरोना काल में भी अर्थव्यवस्था मजबूत: विदेशी मुद्रा भंडार मामले में रूस को पीछे छोड़ चौथे स्थान पर भारत

नई दिल्ली। कोरोना महामारी की वजह से पटरी से उतर चुकी भारतीय अर्थव्यवस्था की गाड़ी अब धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है। अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भारत की तरफ से लगातार अच्छी खबरें मिल रही हैं। हालांकि अभी भी कई तरह के सुधार की जरूरत है, जिसके लिए भारत सरकार प्रयासरत है। इस बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत देने वाली एक और खबर सामने आई है। दरअसल, भारत पूरी दुनिया में विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves/Forex Reserves) के क्षेत्र में चौथा सबसे बड़ा देश बन गया है। भारत ने रूस को पीछे छोड़कर चौथा पायदान हासिल किया है। आपको बता दें कि भारत की स्थिति में सुधार रूस के विदेशी मुद्रा भंडार में हुए घाटे की वजह से हुआ है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, 5 मार्च तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 4.3 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 580.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। वहीं रूस का भंडार 580.1 अरब (बिलियन) डॉलर पर आ गया है। इस लिस्ट में भारत का पड़ोसी मुल्क चीन सबसे आगे है। चीन के पास दुनिया का सबसे अधिक विदेशी मुद्रा भंडार है। चीन के बाद जापान दूसरे और स्विटजरलैंड तीसरे स्थान पर है।

एक्सपर्ट बताते हैं कि जब किसी देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ता है तो उस देश की अर्थव्यवस्था में विदेशी निवेशकों और क्रेडिट रेटिंग कंपनियों का भरोसा भी बढ़ता है। निवेशकों और कंपनियों को ये भरोसा मिलता है कि सरकार किसी भी स्थिति में अपने कर्ज को लेकर किए वादों को पूरा कर सकती है।

गौरतलब है कि यह एक तरह से विदेशी कर्ज को किसी आपात स्थिति में चुकाने के लिए लिए रखी गई रिजर्व संपत्ति होती है। विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के सेंट्रल बैंक में रखी गई वो धनराशि या फिर संपत्ति होती है, जिसका उपयोग मुश्किल समय में कर्ज को चुकाने के लिए किया जाता है। ज्यादातर देशों में डॉलर का ही भंडार किया जाता है, लेकिन कहीं-कहीं यूरो का भी भंडारण किया जाता है।

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