अब नहीं होगा मुख्यमंत्री बनाम उपराज्यपाल, सुप्रीम ‘मुहर’ के बाद दिल्ली के ‘किंग’ केजरीवाल, बार बार अड़ंगा न लगाए LG : सुप्रीम कोर्ट

न्यूज़ डेस्क। दिल्ली में वर्षों से दिल्ली सरकार बनाम केंद्र सरकार का मुद्दा रहा है। खासतौर पर पिछले कुछ वर्षों में जब से दिल्ली की सत्ता में आम आदमी पार्टी काबिज हुई है यह तकरार और भी बढ़ी है। मुख्ममंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल के बीच अक्सर अधिकारों को लेकर विवाद होता रहता है।एक तरफ केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार कोई फैसला लेती है तो दूसरी तरफ उपराज्यपाल उस पर अपना वीटो लगा देते हैं. ऐसे में केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों को लेकर जंग चली आ रही थी। जिस पर आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने विराम लगाया है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इस पर एक अहम फैसला दिया है, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री यानी केजरीवाल को ही दिल्ली का असली ‘किंग’ बताया गया है।

जी हां, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह तो स्पष्ट हो चुका है कि दिल्ली का असली किंग दिल्ली का मुख्यमंत्री ही है। इस फैसले के साथ ही सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि उपराज्यपाल को बार-बार दिल्ली सरकार के फैसलों में अड़ंगा लगाने का अधिकार नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने स्पष्ट कर दिया है कि भले ही बात अधिकारियों की तैनाती की हो या तबादलों की इसका पूरा अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास ही प्रशासनिक सेवा का भी पूरा अधिकार होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक व्यवस्था का अधिकार ही नहीं होगा तो ट्रिपल चेन जवाबदेही पूरी नहीं होगी।

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने उपराज्यपाल की संस्था पर ज्यादा कुछ नहीं कहा। लेकिन उन्हें यह सलाह जरूर दी कि उन्हें दिल्ली सरकार की बात माननी चाहिए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि पुलिस, पब्लिक ऑर्डर और जमीन से जुड़े मामलों में दिल्ली सरकार के पास कोई अधिकार नहीं होंगे, बल्कि यह अधिकार केंद्र सरकार के पास होंगे।

केंद्र सरकार ने साल 2021 में गवर्नमेंट ऑफ एनसीटी ऑफ दिल्ली एक्ट (GNCTD Act) में संसोधन किया था। इस संशोधन के अनुसार केंद्र ने उपराज्यपाल को कुछ अतिरिक्त अधिकार दे दिए थे। दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) इस कानून के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। अब AAP की इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है।

दिल्ली में विधानसभा और सरकार के कामकाज को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली सरकार (GNCTD) अधिनियम 1991 को लागू किया गया।साल 2021 में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इस एक्ट में कुछ संसोधन किए। इन संशोधनों के जरिए दिल्ली के उपराज्यपाल को कुछ अतिरिकत शक्तियां दी गईं। उन संशोधनों के बाद दिल्ली की चुनी हुई सरकार को अपने किसी भी फैसले के लिए उपराज्यपाल की राय लेना अनिवार्य कर दिया गया था। दिल्ली सरकार ने इसी संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

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