नई दिल्ली । भारत मौसम विज्ञान विभाग ने सोमवार को 2024 में औसत से अधिक मानसूनी बारिश का अनुमान लगाया है, जो देश के कृषि क्षेत्र के लिए अच्छी खबर है। पिछले साल अनियमित मौसम से कृषि क्षेत्र प्रभावित हुआ था।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन ने कहा कि मानसून आम तौर पर 1 जून के आसपास केरल में आता है और सितंबर के मध्य में वापस चला जाता है। इस साल औसत बारिश 106 फीसदी होने की उम्मीद है।
देश में 2024 दक्षिणपश्चिम मानसून ऋतु (जून से सितंबर) वर्षा सामान्य से अधिक (>दीर्घावधि औसत का 104%) होने की संभावना है।देश में मात्रात्मक ऋतुनिष्ठ वर्षा ± 5% मॉडल त्रुटि के साथ दीर्घावधि औसत का 106% होने की संभावना है।1971-2020 के लिए देश में ऋतु वर्षा का दीर्घावधि औसत 87 सेमी है pic.twitter.com/Ih7iaA9BLI
— India Meteorological Department (@Indiametdept) April 15, 2024
रविचंद्रन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “पूर्वानुमान से पता चलता है कि जून से सितंबर के दौरान मानसून मौसमी वर्षा लंबी अवधि के औसत का 106 फीसदी होने की संभावना है।”
आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि अल नीनो, जो मानसून को बाधित करता है, कमजोर हो रहा है और मानसून आने तक यह हट जाएगा। ला नीना भारत में अधिक वर्षा का कारण बनती है। यह अगस्त तक स्थापित हो जाएगा।
IMD predicts 2024 southwest monsoon season (June to September) rainfall over the country as a whole to be above normal (>104% of the Long Period Average (LPA)). Seasonal rainfall is likely to be 106% of LPA with a model error of ± 5%. LPA of monsoon rainfall (1971-2020) is 87 cm. pic.twitter.com/bgBhLX0M2W
— India Meteorological Department (@Indiametdept) April 15, 2024
भारतीय अर्थव्यवस्था में मानसून एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। देश की लगभग 50 फीसदी कृषि भूमि के पास सिंचाई का कोई अन्य साधन नहीं है। मानसून की बारिश देश के जलाशयों और जलभृतों को रिचार्ज करने के लिए भी महत्वपूर्ण है, जहां से पानी का उपयोग साल के अंत में फसलों की सिंचाई के लिए किया जा सकता है।
भारत खाद्यान्न के एक प्रमुख निर्यातक के रूप में उभरा है, लेकिन पिछले साल अनियमित मानसून के चलते कृषि उत्पादन प्रभावित हुआ। इससे आपूर्ति बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए चीनी, चावल, गेहूं और प्याज के विदेशी शिपमेंट पर अंकुश लगाना पड़ा। कृषि क्षेत्र में मजबूत वृद्धि मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने में मदद करती है।
इसके साथ ही IMD कहा है कि देशभर के अधिकांश इलाकों में सामन्य बारिश हो सकती है लेकिन उत्तर-पश्चिमी राज्यों यानी राजस्थान, गुजरात, पंजाब और जम्मू कश्मीर, ओडिशा, पश्चिम बंगाल के गंगीय इलाके और पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में सामान्य से भी कम बारिश दर्ज किए जा सकते हैं। IMD ने कहा है कि सामान्य से ज्यादा बारिश (104 से 110%) की संभावना 29 फीसदी है।
मौसम विभाग ने आंकड़ों के आधार पर कहा है कि पिछले 22 ला-नीना प्रभाव के वर्षों में सामान्य से ज्यादा या सामान्य बारिश दर्ज की गई है। IMD के मुताबिक, हालांकि साल 1974 और 2000 इसके अपवाद रहे हैं, जब ला-नीना के बावजूद सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई थी।
बता दें कि अल-नीनो और ला-नीना मौसमी पैटर्न हैं। यह महासागरों में तापमान की स्थिति पर बनता है। जिस साल अल-नीनो का प्रभाव होता है, यानी महासगारीय जल का तापमान ज्यादा होता है, उस साल मानसून कमजोर होता है और सामान्य से कम बारिश दर्ज की जाती है, जबकि ला-नीना उससे उलटा है। जब ला-नीना का प्रभाव होता है तो मानसूनी जलवायु अनुकूल होती है और उस साल मानसूनी बारिश सामान्य या सामान्य से ज्यादा होती है।