न्यूज़ डेस्क। पीएम नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दूसरे राष्ट्रीय युवा संसद महोत्सव के समापन समारोह को संबोधित किया। इस कार्यक्रम का आयोजन संसद के सेंट्रल हॉल में किया गया था। प्रधानमंत्री ने इस महोत्सव के तीन युवा राष्ट्रीय विजेताओं के विचारों को भी सुना।
Addressing the National Youth Parliament Festival. https://t.co/OtaqUrBnZS
— Narendra Modi (@narendramodi) January 12, 2021
स्वामी विवेकानंद की जयंती पर उन्हें स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि समय बीतने के बाद भी स्वामी जी का प्रभाव और असर हमारे राष्ट्रीय जीवन में बरकरार है। राष्ट्रवाद और राष्ट्र-निर्माण के बारे में उनके विचार और जनता की सेवा व विश्व की सेवा करने के संबंध में उनकी शिक्षा हमें लगातार प्रेरित करती रहती है। प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत और संस्थानों में स्वामी जी के योगदान के बारे में भी बात की। उनके संपर्क में आने वाले व्यक्तियों ने संस्थानों का सृजन किया और बदले में नए संस्था-निर्माता भी बनाएं। इससे व्यक्तिगत विकास से संस्था-निर्माण और इसके विपरीतक्रम में सदगुण चक्र की भी शुरुआत हुई। यह भारत की एक बड़ी शक्ति है क्योंकि प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत उद्यमशीलता और बड़ी कंपनियों के बीच संबंधों को रेखांकित किया। उन्होंने युवाओं से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति द्वारा उपलब्ध कराए गए लचीलेपन और नवाचारी शिक्षण प्रारूप का लाभ उठाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि हम देश में एक ऐसे तंत्र का सृजन करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसकी अनुपस्थिति में अक्सर युवाओं को विदेशों की ओर देखने के लिए मजबूर होने पड़ता है।
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प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि वह स्वामी विवेकानंद ही थे जिन्होंने राष्ट्र की नींव के रूप में आत्मविश्वासी, स्पष्ट-हृदय वाले, निडर और साहसी युवाओं की पहचान की थी। प्रधानमंत्री ने युवाओं के लिए स्वामी विवेकानंद के मंत्रों को प्रस्तुत किया। स्वामी जी ने शारीरिक फिटनेस के लिए ‘मसल्स ऑफ आयरन एंड नर्व्ज ऑफ स्टील’, व्यक्तित्व विकास के लिए ‘अपने आप में विश्वास’ और नेतृत्व और टीम वर्क के लिए, ‘सभी में विश्वास’ करना बताया है।
पहले देश में ये धारणा बन गई थी कि अगर कोई युवक राजनीति की तरफ रुख करता था तो घर वाले कहते थे कि बच्चा बिगड़ रहा है।
क्योंकि राजनीति का मतलब ही बन गया था- झगड़ा, फसाद, लूट-खसोट, भ्रष्टाचार।
लोग कहते थे कि सब कुछ बदल सकता है लेकिन सियासत नहीं बदल सकती।#YuvaShaktiWithModi pic.twitter.com/6BqusGMz64
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प्रधानमंत्री ने युवाओं को राजनीति में निस्वार्थ और रचनात्मक सहयोग देने के लिए प्रेरित किया और कहा कि आज ईमानदार लोगों को सेवा करने और अनैतिक गतिविधियों के रूप में बनी राजनीति की पुरानी धारणाओं को बदलने का अवसर प्राप्त हो रहा है। आज ईमानदारी और कार्य प्रदर्शन समय की जरूरत बन गए हैं। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री ने वंशवादी राजनीति के बारे में काफी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार उन लोगों पर भारी बोझ बन गया है जिनकी विरासत भ्रष्टाचार ही थी। उन्होंने युवाओं से वंशवादी व्यवस्था को जड़ से उखाड़ने का आह्वान किया। वंशवादी राजनीति एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में अक्षमता और तानाशाही को जन्म देती है, क्योंकि ऐसे व्यक्ति परिवार की राजनीति और राजनीति में परिवार को बचाने की दिशा में काम करते हैं।
ये स्वामी जी ही थे, जिन्होंने उस दौर में कहा था कि निडर, बेबाक, साफ दिल वाले, साहसी और आकांक्षी युवा ही वो नींव है जिस पर राष्ट्र के भविष्य का निर्माण होता है।
वो युवाओं पर, युवा शक्ति पर इतना विश्वास करते थे।
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पीएम मोदी ने कहा “आज एक उपनाम की बैसाखी के सहारे चुनाव जीतने के दिन समाप्त हो गए हैं, लेकिन वंशवाद की राजनीति की परेशानी अभी दूर होना बाकी है। वंशवादी राजनीति पहले राष्ट्र को आगे बढ़ाने के बजाय स्वयं और परिवार को बढ़ावा देती है। यह भारत में सामाजिक भ्रष्टाचार का एक प्रमुख कारण है।”
हमारा युवा खुलकर अपनी प्रतिभा और अपने सपनों के अनुसार खुद को विकसित कर सके इसके लिए आज एक environment और इकोसिस्टम तैयार किया जा रहा है।
शिक्षा व्यवस्था हो, सामाजिक व्यवस्था हो या कानूनी बारीकियां, हर चीज में इन बातों को केंद्र में रखा जा रहा है।#YuvaShaktiWithModi pic.twitter.com/FN1CqVfnOj
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प्रधानमंत्री मोदी ने भुज भूकंप के बाद के पुनर्निर्माण कार्यों का उदाहरण देते हुए, युवाओं को बताया कि आपदा में जो समाज अपना रास्ता खुद बनाना सीखता है, वह स्वयं अपना भाग्य लिखता है। इसलिए सभी 130 करोड़ भारतीय आज स्वयं अपना भाग्य लिख रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के युवाओं द्वारा किया गया प्रत्येक प्रयास और नवाचार, ईमानदार प्रतिज्ञा, हमारे भविष्य की मजबूत आधारशिला रख रहा है।
लेकिन आज राजनीति में ईमानदार लोगों को भी मौका मिल रहा है।
Honesty और Performance आज की राजनीति की पहली अनिवार्य शर्त होती जा रही है।
भ्रष्टाचार जिनकी legacy थी, उनका भ्रष्टाचार ही आज उन पर बोझ बन गया है।
वो लाख कोशिशों के बाद भी इससे उभर नहीं पा रहे हैं।#YuvaShaktiWithModi pic.twitter.com/6aeEt0rOc7
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