सियावर राम चंद्र की जय…
मेरे प्यारे देश वासियों,
राम राम!
नई दिल्ली। जीवन के कुछ क्षण ईश्वरीय आशीर्वाद की वजह से ही यथार्थ में बदलते हैं। आज हम सभी भारतीयों के लिए, दुनिया भर में फैले राम भक्तों के लिए ऐसा ही पवित्र अवसर है। हर तरफ प्रभु श्रीराम की भक्ति का अद्भुत वातावरण है। चारों दिशाओं में राम नाम की धुन है। राम भजनों की सौन्दर्य माधुरी है। हर किसी को इंतजार है 22 जनवरी का। उस ऐतिहासिक पवित्र पल का।
अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा में केवल ग्यारह दिन बचे हैं। मेरा सौभाग्य है कि मुझे भी इस दिन पुण्य अवसर का साक्षी बनने का अवसर मिल रहा है। मैं एक अलग ही भाव भक्ति की अनुभूति कर रहा हूं. आप भी भली भांति मेरी स्थिति समझ सकते हैं।
सुनें पीएम ने क्या क्या कहा-
https://www.youtube.com/watch?v=NiK7xjw25ow
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में केवल 11 दिन ही बचे हैं। मेरा सौभाग्य है कि मैं भी इस पुण्य अवसर का साक्षी बनूंगा। प्रभु ने मुझे प्राण प्रतिष्ठा के दौरान, सभी भारतवासियों का प्रतिनिधित्व करने का निमित्त बनाया है। इसे ध्यान में रखते हुए मैं आज से 11 दिन का विशेष अनुष्ठान आरंभ कर रहा हूं।
मैं आप सभी जनता-जनार्दन से आशीर्वाद का आकांक्षी हूं.इस समय, अपनी भावनाओं को शब्दों में कह पाना बहुत मुश्किल है, लेकिन मैंने अपनी तरफ से एक प्रयास किया है।
शास्त्रों में देव प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा एक विशद एवं वृहद प्रक्रिया है। इसके लिए विस्तृत नियम बताए गए हैं. जिनका प्राण प्रतिष्ठा के कई दिन पहले से पालन करना होता है। एक रामभक्त के रूप में प्रधानमंत्री जी राममंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा के प्रति एक आध्यात्मिक साधना के भाव से समर्पित हैं। उन्होंने तय किया कि अपनी तमाम व्यस्तताओं और जिम्मेदारियों के बावजूद वो प्राण प्रतिष्ठा के दिन और उसके पूर्व के सभी नियमों और तपश्चर्याओं को उतनी ही दृढ़ता के साथ पालन करेंगे, जैसा कि शास्त्रों में निर्देश दिया गया है।
इसके लिए माननीय प्रधानमंत्री जी ने प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व 11 दिवसीय यम-नियम पालन का अनुष्ठान शुरू किया है. देव प्रतिष्ठा को पार्थिव मूर्ति में ईश्वरीय चेतना के संचार का अनुष्ठान बताया गया है। इसके लिए शास्त्रों में अनुष्ठान से पूर्व व्रत के नियमों का निर्देश दिया गया है। प्रधानमंत्री जी अपनी दैनिक दिनचर्या में ब्रह्ममुहूर्त जागरण, साधना और सात्विक आहार जैसे नियमों का पालन तो अनवरत ही करते हैं। लेकिन, प्रधानमंत्री जी ने सभी 11 दिवसीय अनुष्ठान के तौर पर कठोर तपश्चर्या के साथ व्रत लेने का निर्णय किया है।