#Plastic Waste से तैयार हुईं एक लाख किलोमीटर सड़कें, पीएम मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को मिली गति

न्यूज़ डेस्क। प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त, 2019 को लाल किले प्राचीर से अपने भाषण में देशवासियों से सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान छेड़ने का आग्रह किया था। इस अपील का असर सड़क निर्माण के क्षेत्र में भी दिखाई दे रहा है। मोदी सरकार का सड़कों के निर्माण में प्लास्टिक कचरे का प्रयोग सफल रहा है। विभिन्न सड़क निर्माण एजेंसियों ने अब तक एक लाख किलोमीटर से अधिक सड़कें प्लास्टिक कचरे से बनाई हैं। यह अधिक टिकाऊ, सस्ती और गड्ढा रहित हैं।

हालांकि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने जुलाई 2016 में सड़क निर्माण में ठोस और प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल करने की घोषणा की थी। पायलट प्रोजेक्ट के तहत 10 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग में 10 प्रतिशत प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल किया गया। सेंटर रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआई) द्वारा गुणवत्ता और क्षमता के अध्ययन के बाद जनवरी 2017 में राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्ग, जिला सड़कें, नगर निगम, नगर निकाय आदि सड़कों निर्माण में 10 प्रतिशत प्लास्टिक कचरे के प्रयोग करने के आदेश जारी हुए। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की अपील के बाद इस दिशा में और तेजी आई।

एक अधिकारी के मुताबिक देश के 11 राज्यों में एक लाख किलोमीटर सड़कें बन चुकी हैं और चालू वित्त वर्ष में यह आंकड़ा दो गुना बढ़ेगा। असम में इस साल पहली बार राष्ट्रीय राजमार्गों में एनएचएआईडीसीएल प्लास्टिक कचरे का प्रयोग शुरू हो गया है। इससे प्लास्टिक कचरे को ठिकाने लगाने की राह मिल गई है।

270 किलोमीटर लंबे जम्मू-कश्मीर राष्ट्रीय राजमार्ग में प्लास्टिक का कचरा मिलाया गया। नोएडा सेक्टर 14ए में महामाया फ्लाइओवर तक सड़क निर्माण में छह टन प्लास्टिक कचरा लगा। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे के यूपी गेट के पास दो किमी सड़क के लिए 1.6 टन प्लास्टिक कचरा लगा। दिल्ली के धौलाकुआं से एयरपोर्ट जाने वाले एक किलोमीटर राजमार्ग में प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल हुआ।

चेन्नई, पुणे, जमशेदपुर, इंदौर, लखनऊ आदि शहरों में प्लास्टिक कचरे की सड़कें बनाई जा रही हैं। सड़क परिवहन मंत्रालय की पांच लाख और अधिक आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में 50 किलोमीटर के दायरे में प्लास्टिक कचरे के लिए कलेक्शन सेंटर बनाने की योजना है।

प्लास्टिक के कचरे से सड़कें बनने से जहां सड़कों की उम्र काफी बढ़ जाएगी, वहीं ऐसी सड़कों का रखरखाव करने का खर्चा भी कम होगा। इसके अलावा प्लास्टिक कचरों के इस्तेमाल से पर्यावरण को नुकसान पहुंचने का खतरा कम होगा। इसके खाने से पशुओं की जान नहीं जाएगी और कूड़ा बीनने वालों की अतिरिक्त कमाई होगी। इससे प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत अभियान और प्लास्टिक कचरे की मुक्ति के अभियान को और गति मिली है।

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