हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार की बड़ी जीत, जारी रहेगा सेंट्रल विस्टा का निर्माण कार्य, कोर्ट ने याचिकाकाकर्ताओं की मंशा पर उठाया सवाल

नई दिल्ली। दिल्‍ली में इंडिया गेट के आसपास निर्माण कार्य से संबंधित सेंट्रल विस्‍टा प्रोजेक्‍ट जारी रहेगा। मंगलवार यानि 29 जून, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्‍ली हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इनकार करते हुए इससे संबंधि‍त याचिकाओं को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि वह दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती, क्योंकि याचिकाकर्ताओं ने चुनकर सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य रोकने का अनुरोध किया, जबकि राष्ट्रीय राजधानी में लॉकडाउन के दौरान जारी अन्य सार्वजनिक परियोजनाओं के बारे में बुनियादी शोध भी नहीं किया था।

शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट ने जनहित याचिका के बारे में कहा था कि यह दुर्भावना से प्रेरित थी और इसमें प्रमाणिकता का अभाव था, जो सही हो सकता है। हाई कोर्ट ने 31 मई को इस परियोजना पर रोक के लिए दायर जनहित याचिका खारिज कर दी थी और इसके साथ ही याचिकाकर्ताओ पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं पर लगाए गए एक लाख रुपये के जुर्माने के मामले में भी हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट बेंच ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि जब हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया गया था कि प्रोजेक्ट में कोविड-19 संबंधी प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन किया गया, तो आपने मुकदमा क्यों जारी रखा?

अनुवादक अन्या मल्होत्रा और इतिहासकार व वृत्तचित्र फिल्म निर्माता सोहेल हाशमी ने दिल्ली हाईकोर्ट के 31 मई के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी। उन्होंने दावा किया था कि हाईकोर्ट ने याचिका को बिना किसी जांच के ‘फेस वैल्यू’ के आधार पर खारिज कर दिया गया। उनका कहना था कि उनकी याचिका पूरी तरह से सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा से संबंधित थी क्योंकि कोविड की भयावह दूसरी लहर ने दिल्ली शहर को तबाह कर दिया था और यहां की खराब स्वास्थ्य व्यवस्था को उजागर कर दिया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना पर हमला मान लिया।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से जहां प्रोजेक्ट विरोधियों को बड़ा झटका लगा है, वहीं मोदी सरकार के लिए यह बड़ी जीत मानी जा रही है, क्योंकि इस प्रोजेक्ट को एक साजिश तहत रोकने का प्रयास किया जा रहा है। मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान विभिन्न विभागों के अंतर्गत सैकड़ों प्रोजक्ट क्रियान्वित किए जा रहे हैं। उन्हीं में से सेंट्रल विस्टा एक प्रोजेक्ट मात्र है। इस प्रोजक्ट से परेशान सिर्फ गांधी परिवार और कांग्रेस इकोसिस्टम के लोग है, जो किसी न किसी तरह इस प्रोजेक्ट को रोकना चाहते हैं।

दरअसल यूपीए के दौरान कांग्रेस जब सत्ता में थी तब कांग्रेस के नेताओं ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर नया पार्लियामेंट की आवश्यकता जताई थी। साल 2012 में स्पीकर ने तत्कालीन शहरी विकास मंत्री को इसी संदर्भ में पत्र लिखा था। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट नया नहीं है फिर भी कांग्रेस का पाखंड बार-बार सामने आ जाता है। कांग्रेस और उसके सहयोगी महाराष्ट्र में विधायकों के नए होस्टल और विधानसभा की नई बिल्डिंग बनाने की मांग कर रही है, छत्तीसगढ़ में विधानसभा बिल्डिंग बनाने की मांग कर रही है। अगर यह सही है तो फिर सेंट्रल विस्टा के निर्माण में क्या समस्या है?

गौरतलब है कि दिसंबर 2020 में सेंट्रल विस्टा परियोजना का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इस प्रोजेक्ट में नया संसद भवन, केंद्र के कार्यालयों के लिए सामान्य सचिवालय, प्रधानमंत्री कार्यालय व निवास, विशेष सुरक्षा समूह भवन और उप राष्ट्रपति एन्क्लेव के निर्माण की परिकल्पना की गई है। शीर्ष अदालत की ओर से परियोजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने के बाद पांच जनवरी, 2021 से इसका निर्माण कार्य हो रहा है।

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