नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके कहा है कि फांसी की सजा पाने वाले दोषियों की दया याचिका दायर करने की समय सीमा सात दिन के लिए निर्धारित की जाए। गृह मंत्रालय ने कोर्ट से यह भी कहा है कि जेल मैनुअल में बदलाव किए जाए। इस याचिका में मंत्रालय ने कहा है कि न्यायिक प्रक्रिया दोषियों के नहीं, पीड़िता के पक्ष में होनी चाहिए। आपको बता दें कि दिल्ली में 2012 में निर्भया के साथ हुए गैंगरेप मामले के दोषी फांसी की सजा टालने के लिए एक-एक कर दया याचिका दाखिल कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट दाखिल याचिका में केन्द्र सरकार ने कहा कि ‘दोषी-केंद्रित’ दिशा निर्देशों को संशोधित कर ‘पीड़ित-केंद्रित’ बनाने से कानून के शासन में लोगों के विश्वास और मजबूत होगा। मंत्रालय ने कहा है कि ऐसे मामलों में जेल मैनुअल में भी बदलाव होगा।
ज्ञात हो कि निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस के मामले में एक दोषी मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति द्वारा खारिज होने के बाद दिल्ली की अदालत ने नया डेथ वारंट जारी किया है। इस नए डेथ वारंट के अनुसार, अब सभी दोषियों को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी की सजा दी जाएगी।
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार की ओर से हाईकोर्ट में डेथ वारंट मामले की सुनवाई के दौरान बताया गया था कि दोषियों को फांसी की सजा 22 जनवरी को नहीं दी जा सकेगी क्योंकि सिंह द्वारा दया याचिका दायर की गयी है। इस मामले के चार अभियुक्तों मुकेश सिंह , विनय शर्मा , अक्षय कुमार सिंह और पवन गुप्ता को 22 जनवरी को सुबह सात बजे तिहाड़ जेल में फांसी दिया जाना तय हुआ है। दिल्ली की एक अदालत ने सात जनवरी को उनकी मौत का वारंट जारी किया था।
अदालत ने कहा था कि ‘दोषी मुकेश ने दया याचिका लगाई है, अब 22 जनवरी में सिर्फ पांच दिन बचे हैं। साथ ही कहा कि हो सकता है अगले एक दो दिन में राष्ट्रपति दया याचिका खारिज कर दे, इसके बाद दोषी नियमों का हवाला देकर 14 दिनों का वक्त और फांसी देने के लिए नई तारीख देने की मांग करेंगे। ऐसे में 22 फरवरी को फांसी कैसे दी जाएगी।