न्यूज़ डेस्क (Bns)। भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग भाषायें बोली जाती हैं। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि भाषा के आधार पर उत्तर और दक्षिण भारत के लोगों के बीच भेदभाव किया जाता है। भाषा की दिक्कत से जुड़ा ताजा मामला आईएनडीआईए की बैठक का है। इस गठबंधन में पूरे देश से राजनितिक दलों को जोड़ा गया है। जाहिर है पूरे देश के लोग जब इसका हिस्सा हैं तो भाषा से जुड़ी दिक्कतें वहां भी आएंगी। ऐसा ही कुछ हुआ इंडी अलायन्स की हालिया बैठक में। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हिन्दी के मुद्दे पर द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) के नेताओं से उलझ गए।
Bridging Innovation with Impact!
Bhasha Techathon invites participants to address six problem statements in the field of Natural Language Processing (NLP).
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— Ministry of Electronics & IT (@GoI_MeitY) April 24, 2024
दरअसल, जब बैठक के दौरान वो हिन्दी में बोल रहे थे तब डीएमके नेताओं ने उनके भाषण के अंग्रेजी अनुवाद की बात कही। इस काम के लिए आरजेडी के मनोज झा आगे आए। गठबंधन की बैठकों में वो अक्सर ट्रांसलेटर की भूमिका निभाते रहे हैं। लेकिन इस बात से सीएम नीतीश भड़क गए। वो हिंदी के प्रयोग पर जोड़ देते नजर आए। उन्होंने कहा कि हिन्दी आधिकारिक भाषाओं में से एक है।
At the #GPAI Expo, #BHASHINI showcased the NIPUN Lakshya app, powered by #BHASHINI. It conducts oral reading fluency assessments and improves numeracy skills by calculating correct words per minute.@GoI_MeitY @PMOIndia @amitabhnag @Rajeev_GoI @AshwiniVaishnaw #Samagra pic.twitter.com/hteLZwif8E
— BHASHINI (@_BHASHINI) December 18, 2023
भाषा का यह मुद्दा विभाजनकारी ताकतों के हाथों में हमेशा से एक हथियार रहा है। जाहित तौर पर ऐसे लोगों को जो उत्तर-दक्षिण की बहस चलाते हैं, इस प्रसंग से एक और मौका मिल गया विरोध करने का। इस प्रसंग को हिन्दी थोपने से जोड़ कर विरोध भी किया जाने लगा।
#BHASHINI has created an application that utilises AI and engineering to facilitate real-time transmission of a person's speech in various languages.
For a detailed demonstration, watch the video and discover how it operates.@GoI_MeitY @amitabhnag @PMOIndia @Rajeev_GoI pic.twitter.com/KwrgsCFi9B
— BHASHINI (@_BHASHINI) December 17, 2023
भाषा की इस खाई को तकनीक की मदद से पाटा जा सकता है। भारत सरकार द्वारा विकसित भाषिणी एक ऐसा आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस प्लेटफार्म है जो रियलटाइम में मशीनी भाषाई अनुवाद करता है।
क्या है भाषिणी?
भाषिणी एक आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस प्लेटफार्म है जिसे डिजिटल इंडिया वीक 2022 कार्यक्रम के दौरान इंट्रोड्यूस किया। इसके माध्यम से बोल कर या लिख कर हम आसानी से भाषाओं का अनुवाद कर सकते हैं। इसमें लिख कर या बोल कर हम अपना इनपुट डाल सकते हैं और साथ ही दोनों ही माध्यमों में रिजल्ट पा सकते हैं। इसमें अभी 13 भाषाओं को ट्रांसलेट कारण की सुविधा उपलब्ध है।
PM @narendramodi, at the Kashi Tamil Sangamam 2.0 inauguration in Varanasi, used #BHASHINI, an AI translation tool, for real-time translation to the Tamil-speaking audience.@GoI_MeitY @Rajeev_GoI @AshwiniVaishnaw @amitabhnag @PMOIndia @abhish18 pic.twitter.com/nDFKnYHeRI
— BHASHINI (@_BHASHINI) December 17, 2023
भाषिणी का मकसद क्या है?
यह परियोजना का उद्देश्य एक ऐसे इकोसिस्टम का निर्माण और विकास करना है जहां अलग-अलग तरह के स्टेकहोल्डर्स जैसे – संस्थान, उद्योग के खिलाड़ी, अनुसंधान समूह, शिक्षाविद और व्यक्ति शामिल हो सकें। ये प्लैटफॉर्म ना सिर्फ सरकार, इंडस्ट्री और रिसर्च ग्रुप की कड़ियों को जोड़ने का काम करेगा बल्कि इसके साथ-साथ इसके जरिए अंग्रेजी न बोलने वाले लोगों को अपनी भाषा में इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित भी करेगा। लोग इसकी मदद से दूसरी भारतीय भाषा बोलने वाले लोगों से अपनी भाषा में बात कर पाएंगे।
क्यों अहम है भाषिणी?
मोदी सरकार डिजिटल ट्रांसफर्मेशन को बड़ी उपलब्धि की तरह पेश करती रही है। सरकार चाहती है कि देश की 22 आधिकारिक भाषाओं, 122 प्रमुख भाषाओं और 1599 दूसरी भाषाओं को डिजिटल कड़ी से बांधा जाए। भाषिणी को लेकर सरकार के उत्साह के पीछे की दो वजहें हैं। साल 2021-22 के बजट में राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन की घोषणा से पहले एक सर्वे में यह बात सामने आई थी कि 53 फीसदी भारतीय इंटरनेट का इस्तेमाल इसलिए नहीं करते क्योंकि कंटेट उनकी अपनी भाषा में नहीं होता। जाहिर है सरकार इस रुकावट को दूर करना चाहती थी। ऐसे में भाषिणी इस समस्या को दूर कर सकता है। अगर भाषिणी का व्यापक प्रचार प्रसार हो जाए तो यह भाषायी दीवारों को तोड़ कर राष्ट्रीय एकता के लिए एक बड़ा योगदान होगा।