नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद के मद्देनजर देश के 68.2 प्रतिशत लोगों का कहना है वे चीन द्वारा निर्मित मोबाइल फोन, टीवी, इलेक्ट्रॉनिक सामान सहित अन्य उत्पादों को खरीदना बंद कर देंगे। यह जानकारी आईएएएस सी-वोटर स्नैप सर्वेक्षण में सामने आई है। सर्वेक्षण के अनुसार, 68.2 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे चीनी उत्पादों का बहिष्कार करेंगे, जबकि 31.8 प्रतिशत ने कहा कि इस तरह का कुछ भी नहीं होने जा रहा है और हमेशा की तरह व्यापार होगा, जहां लोग चीनी उत्पादों को खरीदना जारी रखेंगे।
20जूनABVPपटेल नगर ज़िला,मध्य विभाग 19जूनABVPरोहिणी जिला,रोहिणी विभाग
में #boycottChinaGoods के विषय को लेकर चाइना का पुतला दहन किया गया। स्थानीय नागरिक भी हिस्सा बने व भारत और चीन की वर्तमान परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए लोगो से चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने का आग्रह किया l pic.twitter.com/P5TMf5gD2T— Ram Kumar (@rkramkumar91) June 23, 2020
विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के बीच किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि सभी उम्र के लोग इस बात पर सहमत हैं कि वे चीनी उत्पादों का बहिष्कार करेंगे। मध्यम आयु वर्ग में 75 प्रतिशत (45 से 60 वर्ष), 25 से 45 वर्ष आयु वर्ग में 66 प्रतिशत, 60 वर्ष से ऊपर की आयु में 79 प्रतिशत बुजुर्ग और 60.9 प्रतिशत फ्रेशर्स (25 वर्ष से नीचे) ने माना कि वे चीनी उत्पादों का बहिष्कार करेंगे।
चीनी उत्पादों का बहिष्कार कीजिए।
राष्ट्र हित में सहयोग दीजिए।
दिनांक -22 जून 2020, प्रातः 10 बजे से लगातार ट्विटर पर अभियान #मालवा_बोले_नो_चाइना pic.twitter.com/Tg559oAiL8— हिन्दू प्रशासक समिति ?? (@Hindu_IN) June 21, 2020
शिक्षा समूह की सभी श्रेणियों में भी चीन विरोधी भावना स्पष्ट रूप से सामने आई है। निम्न शिक्षित समूह में 70 प्रतिशत, मध्यम शिक्षा समूह में 65 प्रतिशत और उच्च शिक्षा समूह में 64.6 प्रतिशत लोगों का कहना है कि वे चीनी सामान नहीं खरीदेंगे।
#स्वदेशी_महाकौशल
सतना। स्वदेशी अभियान अंतर्गत चीनी उत्पादों का बहिष्कार और पुतला दहन। pic.twitter.com/MShBOaJbnL— SACHIN TULSA TRIPATHI (@JrSachinTulsa) June 22, 2020
आय वर्ग की श्रेणी में चीन विरोधी भावना अधिक प्रचलित और विभिन्न वर्गों में सुसंगत है। निम्न, मध्यम और उच्च आय वर्ग में 68 प्रतिशत लोगों की यही सोच देखने को मिली है।
#इनको_किसने_वित्त_मंत्री_बनाया था
देश में चीनी उत्पादों के बहिष्कार की मॉंग जोर पकड़ती जा रही है
लेकिन पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री और वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता पी चिदंबरम ने इसका विरोध किया है उनका कहना है चीन के सामान का बहिष्कार करने से चीन की अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं होगा pic.twitter.com/tPgzwf7QjD— रूपक हिन्दुस्तानी (@roopakaaaaaaaaa) June 20, 2020
वहीं अगर सामाजिक समूह की श्रेणी की बात करें तो सर्वेक्षण में पाया गया कि 93.9 प्रतिशत ईसाई चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने के इच्छुक हैं। इसके बाद हिंदुओं में अनुसूचित जनजातियों के 80.7 प्रतिशत, अन्य पिछड़े वर्गों के 73.8 प्रतिशत, अनुसूचित जाति के 70 प्रतिशत और सर्वण (उच्च जाति) 74 प्रतिशत लोगों ने चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने की बात कही। सर्वेक्षण में चीन विरोधी भावना मुस्लिमों (35.1 प्रतिशत) और सिखों (44 प्रतिशत) को छोड़कर सभी वर्गों में बहुत अधिक देखने को मिली है।
परमज्ञानी व्हाट्सएप यूनिविर्सिटी शिक्षित भक्त चीनी उत्पादों का बहिष्कार अमेरिकन नक्शे से करते हुए।??????? pic.twitter.com/VT6SEJOqwq
— Sonu (@Sonu14927547) June 23, 2020
पिछले आम चुनाव में वोट डालने वाले लोगों से भी सर्वेक्षण में सवाल पूछे गए। विपक्षी पार्टियों को वोट देने वाले 58.2 प्रतिशत मतदाताओं ने चीनी उत्पादों के बहिष्कार का समर्थन किया। वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को वोट देने वाले 72.8 प्रतिशत मतदाताओं ने भी कहा कि वे चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने को तैयार हैं।
अब झुकना नही, झुकाना है,
चीन को सबक सिखाना है।
चीनी उत्पादों के "बहिष्कार" से,
"शत्रु" को घुटनो पर लाना है।#मालवा_बोले_नो_चाइना#उज्जैन_बोले_नो_चाइना pic.twitter.com/WEqicLyRnn— चैतन्य आरोण्या (@AronyaChetanya) June 22, 2020
लिंग के आधार पर देखा जाए तो 74 प्रतिशत पुरुषों ने चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने पर सहमति व्यक्त की, जबकि 61.7 प्रतिशत महिलाओं ने चीनी समान को नहीं खरीदने की बात कही।