सुप्रीम कोर्ट की सरकार को सलाह- नींद से जागिए और राजनीति के अपराधीकरण को उखाड़ने के लिए करिए बड़ी सर्जरी

नई दिल्ली। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि राजनीति का अपराधीकरण रोजाना बढ़ रहा है। साथ ही यह भी आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों, जो राजनीतिक प्रणाली के अपराधीकरण में संलिप्त हैं, को कानून निर्माता बनने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। लेकिन सवाल यह है कि क्या सर्वोच्च अदालत ऐसा करने के लिए आदेश दे सकती है। इसका जवाब है- नहीं। सरकार को ही नींद से जागकर कानूनों में संशोधन करके एक बड़ी सर्जरी करनी होगी, जिससे राजनीति के अपराधीकरण के कैंसर को जड़ से निकाला जा सके। जस्टिस आरएफ नारीमन और बीआर गवई की पीठ ने ये टिप्पणियां दागी उम्मीदवारों का प्रचार नहीं करने के आरोप में राजनैतिक दलों को अवमानना का दोषी ठहराने का फैसला देते हुए कीं।

पीठ ने कहा कि इस अदालत ने कई बार विधायिका का आह्वान किया है कि वह मौके को समझें और ऊपर उठकर आवश्यक संशोधन लेकर आएं, जिससे कि आपराधिक रिकॉर्ड वाले व्यक्ति को राजनीति में घुसने से रोका जाए। लेकिन, अफसोस है कि ये सभी अपील एक बहरे को दी गई सलाह के समान साबित हुई हैं। राजनैतिक दल गहरी नींद से जागने से इनकार कर रहे हैं।

पीठ ने कहा, हमारे यह चाहने पर भी कि इस मामले में अर्जेंट रूप से कुछ न कुछ करना चाहिए। हमारे हाथ शक्तियों के पृथकीकरण की संवैधानिक योजना से बंधे हुए हैं। हम राज्य के अंग विधायिका के लिए सुरक्षित क्षेत्र में घुस नहीं सकते। हम सिर्फ कानून निर्माताओं की अंतरात्मा से अपील कर सकते हैं और उम्मीद करते हैं वह जल्द नींद से जागेंगे और संशोधन कर एक बड़ी सर्जरी करेंगे, जिससे राजनीति के अपराधीकरण की बुराई को जड़ से निकाला जा सके।

कोर्ट ने बिहार में हुए चुनावों में आपराधिक उम्मीदवारों को हवाला दिया और कहा कि एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार पहले चरण में 31 फीसदी उम्मीदवारों का आराधिक इतिहास था, जबकि इनमें से 23 फीसदी पर गंभीर आपराधिक मुकदमे लंबित थे। दूसरे चरण में 34 फीसदी उम्मीदवार दागी थे और इनमें से 27 फीसदी पर गंभीर आरोप थे। अन्य चरणों में भी कमोबेश यही स्थिति थी। कुल मिलाकर 3733 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा जिनमें से 1201 उम्मीदवार दागी थे। सबसे ज्यादा डराने वाली बात यह थी कि जीतने वालों में 68 फीसदी उम्मीदवार आपराधिक रिकॉर्ड वाले थे, जो पिछले चुनाव से 10 फीसदी ज्यादा था। इससे ज्यादा खराब यह था कि जीतने वाले 51 फीसदी उम्मीदवारों पर हत्या के प्रयास और महिलाओं के प्रति अपराध जैसे रेप आदि के आरोप थे।

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