मुंबई का मछुआरा रातों रात बना करोड़पति, 1.33 करोड़ में बिकी ‘सोने के दिल’ वाली मछलियां

नई दिल्ली। मुंबई के नजदीक पालघर में रहने वाले मछुआरे पर ये कहावत सटीक बैठती है कि, जब ऊपरवाला देता है, तो छप्पर फाड़ कर देता है। जिले पालघर का एक मछुआरा चंद्रकांत तरे रातोंरात ही करोड़पति बन गया। उसके करोड़पति बनने की कहानी भी बेहद फिल्मी है। मानसून के दौरान पिछले काफी समय से मछली पकड़ने न जा पाने के कारण घर बैठे चंद्रकांत को जब फिर से मछली पकड़ने का मौका मिला तो उन्‍होंने ऐसा जाल फेंका कि उनकी किस्मत ही पलट गई।

खबर के मुताबिक, पालघर जिले के मुरबे गांव के मछुआरे चंद्रकांत तरे मानसून में मछली पकडने पर प्रतिबंध हटने के बाद फिर से समुद्र में मछली पकड़ने गए थे। चंद्रकांत पहली बार 28 अगस्त की रात अरब सागर में मछली पकड़ने गया था। जाल फेंकने के बाद जब चंद्रकांत ने जाल खींचना शुरू किया तो वह उन्हें बेहद ही भारी लगा। जब उनका जाल बाहर आया तो नाव में सवार हर कोई हैरान रह गया। उनके जाल में 175 घोल मछलियां फंसी थीं।

इतनी बड़ी संख्या में घोल मछलियां देख चंद्रकांत की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दरअसल घोल मछली बाजार में बहुत कीमती होती है। इन मछलियों को चंद्रकांत और उनके बेटे सोमनाथ तरे ने कुल 1.33 करोड़ में बेचा। उन्हें एक मछली की कीमत करीब 85 हजार रुपये मिली। चंद्रकांत तरे के बेटे सोमनाथ ने बताया कि चंद्रकांत तरे सहित 8 लोगों के साथ हारबा देवी नाम के नाव से मछली पकड़ने गए थे।

सभी मछुआरे समुद्र किनारे से 20 से 25 नॉटिकल माइल अंदर वाधवान की ओर गए। यहीं पर मछुआरों को 157 घोल मछली मिली। जिसे सी गोल्ड भी कहते है। घोल मछली में कई औषधीय गुण होते हैं। जिसका इस्तेमाल दवाई बनाने से लेकर कॉस्मेटिक सामान बनाने के लिए होता है। इसलिए एक मछली की कीमत हजारों में होती है। यही कारण है कि इसे सोने के दिल वाली मछली भी कहते हैं।

इस पूरे कंसाइनमेंट को यूपी-बिहार बेस्ड एक ट्रेडर ने खरीदा। सोमनाथ ने बताया कि अभी सौदा पूरा होना बाकी। सोमनाथ के मुताबिक घोल मछली के पेट मे एक थैली होती है जिसकी बहुत मांग है। घोल मछली का मेडिकल इलाज, दवाइयों, कॉस्मेटिक्स के लिए इस्तेमाल होता है। इन घोल मछलियों का थाईलैंड, इंडोनेशिया, जापान, सिंगापुर जैसे देशों में बहुत मांग रहती है। सर्जरी के लिए इस्तेमाल होने वाले धागे इसी मछली से बनाए जाते है। इस मछली के हर हिस्से की अपनी एक बड़ी कीमत होती है।

हालांकि अगर महंगी फिश की बात की जाए तो ड्रैगनफिश या फिर एशियन अरोवाना दुनिया की सबसे महंगी मछली है। लाल रंग की ये मछली किसी बेशकीमती हीरे की तरह है। 19वीं और 20वीं सदी में ड्रैगन फिश को लेकर लोग एक दूसरे की हत्या तक कर देते थे। ड्रैगन फिश का कारोबार करने वाले एक शख्स ने साल 2009 में दावा किया था कि उसने 3 लाख डॉलर में एक मछली बेची थी।

इसके अलावा जापान में पाई जाने वाली उनागी मछली की गिनती भी दुनिया की महंगी मछलियों में की जाती है। साल 2018 में एक किलो बेबी ईल की कीमत 35 हजार डॉलर लगभग 2.5 करोड़ थी। इन मछलियों के बच्चों को पकड़ा जाता है और फिर एक साल तक पाला जा सकता है। इसके बाद इन्हें बेचा जा सकता है। जापान में लोग हजारों साल से ईल खाते आ रहे हैं। रेस्तरां में 40 से 50 टन ईल हर साल बेची जाती है। जापानी ईल पूर्वी एशिया में मिलती है।

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