नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मुहर्रम जुलूस निकालने की माँग वाली याचिका को अगस्त 27, 2020 सुनवाई के दौरान खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मुहर्रम जुलूस निकालने की इजाजत देंगे तो इससे अराजकता फैलेगी।
कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, “अगर हम जुलूस निकालने की अनुमति दे देंगे तो इससे आराजकता फैलेगी और फिर एक समुदाय विशेष को कोरोना फैलाने के नाम पर लक्षित किया जाएगा, जो सुप्रीम कोर्ट नहीं चाहेगा।” अदालत ने यह भी कहा कि वह ऐसा कोई आदेश नहीं देंगे जिससे लोगों के स्वास्थ्य को खतरा हो। पीठ ने वकील द्वारा शिया धर्मगुरु कल्बे जव्वाद के उस तर्क को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने बताया था कि जगन्नाथ पुरी मंदिर में रथ यात्रा की अनुमति दी गई थी। पीठ ने पुरी यात्रा को लेकर कहा कि वह यात्रा एक जगह पर होती है और याचिकाकर्ता पूरे देश के लिए इजाजत माँग रहे हैं। अगर किसी एक जगह की बात होती, तो खतरे का आँकलन करके आदेश दिया जा सकता था।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मुहर्रम के जुलूस के लिए कोई निश्चित स्थान नहीं होता है, जहाँ प्रतिबंध और सावधानी बरती जा सकती है। बेंच ने कहा कि आप एक समुदाय के लिए पूरे देश के लिए अस्पष्ट निर्देश माँग रहे हैं।
ज्ञात हो कि मुहर्रम जुलूस निकालने के लिए शिया धर्म गुरु कल्बे जव्वाद ने याचिका दाखिल की थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह पूरे देश पर लागू होने वाला कोई आदेश नहीं दे सकते। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कोर्ट से अपील की थी कि हमें कम से कम लखनऊ में जुलूस की इजाज़त दी जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उनसे इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने को कहा। गौरतलब है कि पूरे देश में मुहर्रम का त्योहार 29 अगस्त को मनाया जाना है। ऐसे में कोर्ट ने इस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें मुहर्रम जुलूस में केवल 5 लोगों को ही शामिल होने की इजाजत माँग थी।